पायनियर संवाददाता मुंगेली
मुंगेली में देवउठनी एकादशी के साथ ही देवताओं का चातुर्मास समाप्त होगा इसके साथ ही चार माह से बंद मांगलिक कार्यों की शुरूआत होगी। 25 एवं 26 नवंबर को घरों के आंगन में गन्ने का मंडप बनाकर तुलसी एवं शालिग्राम का विवाह रचाया जायेगा। एकादशी की पूजा के लिये लगने वाली सामाग्री बजारों में बिकने पहुच गये है। महगाई की मार इस त्यौहार पर भी नजर आ रही है, सभी पूजा के समानों में 10 से 20 प्रतिशत की वृद्धि पिछले वर्ष से हुयी है। देवउठनी एकादशी पर लोग अपने घरों के कुड़े करकट एवं पूराने टोकरी जलाकर आग तापने की मान्यता है देवउठनी एकादशी के पश्चात् ठंड में अचानक वृद्धि हो जाती है।
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी 24 एवं 25 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाई जायेगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, लेकिन इस बार शादी के मुहूर्त कम हेै, मांगलिक कार्यो की शुरुआत 12 नवंबर से शुरू होंगे। देवउठनी के दिन भगवान विष्णु और तुलसी मैया का विवाह का विधान है इसके लिए गन्ने का मंडप बना कर विधि विधान से पूजा पाठ किया गया।
प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी चौंरा के पास सालिग राम की मूर्ति रखकर गन्ने का मंडप बनाया गया और तुलसी विवाह संपन्न किया जावेगा। पूजा पाठ के पश्चात् घरों में दीपक जलाया जायेगा। दीपावली के ग्यारहवें दिन मनाये जाने वाले इस पर्व को छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है। एकादशी के लिये लगने वाले सामाग्री में गन्ना, बीही, कच्चा सिंघाड़ा, चना भाजी, बेर, केला, मूली, बैगन, सेव फल आदि भगवान को समर्पित किया जाता है। इन सामाग्रियों की पूछ-परख अधिक होने के कारण अधिक मूल्य पर बिकते है।
एकादशी के पश्चात् शादी-ब्याह, गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार, नामकरण जैसे मांगलिक कार्य जो रुके हुए थे, वे चातुर्मास समाप्त होने पर फिर से शुरू हो जाएंगे। वैसे हर बार देवउठनी एकादशी के दिन से ही शादी का मुहूर्त शुरू हो जाता है लेकिन इस बार व्यतिपात योग के कारण ऐसा नहीं होगा। देवशयनी एकादशी के बाद से मांगलिक कार्यों पर विराम लगा था। घरों में पूजापाठ के पश्चात् घर के पुराने टोकरी व अन्य सामानों को घर के बाहर जलाकर तापा जाता है। मान्यता है कि तुलसी विवाह के पश्चात् ठंड में अचानक वृद्धि हो जाती है।
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