October 14, 2025

दाऊ कल्याण सिंह की सवा सौ एकड़ जमीन राजसात

राजस्व मंडल ने कहा- वारिस का सबूत नहीं

पायनियर संवाददाता-रायपुर

छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े दानवीरों में से एक दाऊ कल्याण सिंह की करीब सवा सौ एकड़ जमीन पर अधिकार के एक मामले में छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल का एक अहम फैसला सामने आया है। मंडल ने सुनवाई के बाद पूरी विवादित जमीन को राजसात करने का आदेश जारी किया है। इस आदेश में ये भी कहा गया है कि 30 दिनों के अंदर राजसात की कार्यवाही करते हुए जमीन को शासकीय रिकार्ड में शामिल कराया जाए। यह निर्णय छत्तीसगढ़ राजस्व मंडल के अध्यक्ष सीके खेतान ने पारित किया है। आदेश में कहा गया है कि यह विविध प्रकरण उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा पारित आदेश वर्ष 2017, जिसके द्वारा प्रकरण का निराकरण गुण-दोष के आधार पर निराकरण करने राजस्व मंडल के निर्देशित किया गया था। उसके परिप्रेक्ष्य में सुनवाई कर निराकरण किया जा रहा है।
तहसीलदार को दिया गया ये आदेश : राजस्व मंडल ने फैसले में भाटापारा तहसीलदार को आदेशित किया है कि वे दाऊ कल्याण सिंह की पत्नी सरजावती एवं जनक नंदनी के निसंतान फौत होने के कारण उनके नाम पर दर्ज समस्त भूमि को राजसात कर शासकीय मद में दर्ज करें। उक्त भूमि का विधिवत कब्जा तहसीलदार प्राप्त करें व राजस्व रिकार्ड में दुरुस्त कर 30 दिन के अंदर संबंधित कलेक्टर को लिखित में सूचना दें। ये है मामला दाऊ कल्याण सिंह निसंतान थे, उनकी मृत्यु के बाद उनकी दो पत्नियों जनक नंदनी व सरजावती के नाम से दर्ज भूमि के बारे में यह फैसला दिया गया है। दोनों पत्नियों की निसंतान मौत के बाद माल जमादार ने 1983 में इस जमीन को राजसात करने का आदेश दिया था। इस फैसले पर अशोक कुमार अग्रवाल ने आपत्ति करते हुए दावा किया कि सरजावती ने उनके पिता रामजी अग्रवाल को वारिस बनाया था। अपने दावे के पक्ष में उन्होंने कुछ दस्तावेज की फोटोकॉपी पेश की थी, लेकिन मूल दस्तावेज वे पेश नहीं कर पाए थे। तत्कालीन तहसीलदार ने ही इसे खारिज करने का आदेश दिया था। यह पूरा मामला 37 साल से विवादित था। अशोक कुमार ने अपने पिता राममूर्ति अग्रवाल के आम मुख्तियार की हैसियत से नायब तहसीलदार भाटापारा के समक्ष आपत्ति प्रस्तुत की थी, जिसमें कहा गया था कि जनक नंदनी तथा सरजादेवी की संयुक्त मालिकाना हक की भूमि ग्राम पटपार पटवारी हल्का नंबर 24, कुल खसरा नंबर 49, कुल रकबा 18.257 हेक्टेयर एवं कुल खसरा नंबर 13 कुल रकबा 8.11 हेक्टेयर के अलावा ग्राम हथनी एवं भाटापारा में स्थित भूमियों को जनक नंदनी की मृत्यु सितंबर 1964 में भाटापारा में होने के बाद समस्त जायदाद की मालिक सरजावती थीं। सरजावती की मृत्यु मार्च 1977 में होने के बाद सरजावती ने वसीयतनामा लिखकर यह जमीन राममूर्ति अग्रवाल के नाम की थी, लेकिन सुनवाई के बाद मंडल ने पाया कि वाद भूमि का कोई प्रामाणिक विधिक उत्तराधिकार नहीं है। राममूर्ति के द्वारा कथित वसीयतनामा के आधार पर वादभूमि के दावे को साबित नहीं किया गया है। मंडल ने ये भी कहा है कि वाद भूमि को शासकीय मद में दर्ज करने संबंधी तहसीलदार के द्वारा पारित आदेश 24 फरवरी 1884 विधि सम्मत है। फैसले में ये भी कहा गया है कि राममूर्ति अग्रवाल व उनके वारिसानों को सरजादेवी की किसी भी भूमि पर कोई स्वत्व प्राप्त नहीं है।

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