जांच दल ने महिला सरपंच की बजाए सरपंच पति का बयान लिया, ग्रामीणों में आक्रोश
छुरिया@thethinkmedia.com
क्षेत्र के ग्राम पंचायत सीताकसा की महिला सरपंच और सचिव पर फर्जी बिल-वाऊचरों के सहारे भ्रष्टाचार का आरोप है। इसे लेकर ग्रामीण काफी दिनों पहले ही एसडीएम से शिकायत कर चुके हैं। अब ग्रामीणों ने जारी जांच में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया है। दरअसल, महिला सरपंच की जगह जांच टीम ने सरपंच पति के बयान दर्ज किए हैं। इसे लेकर विवाद की स्थिति निर्मित हो गई है। दूसरी ओर जनपद पंचायत के सीईओ के बयान ने इस विवाद को और तूल दे दिया है।
दरअसल, जनपद पंचायत छुरिया के सीईओ ने अपने बयान में सरपंच पति के पंचायत में दखल को सही करार दिया है। इसके बाद अब जांच दल के साथ ही खुद सीईओ भी विवादों में आ गए हैं। एसडीएम द्वारा मई में जारी आदेश के अनुसार महिला सरपंच के परिजनों का पंचायत के कार्य में दखल देना दंडनीय है। लेकिन खुद जनपद पंचायत सीईओ इसे सही बता रहे हैं। पंचों और ग्रामीणों की शिकायत पर एसडीएम हितेश पिस्दा के निर्देश पर जनपद सीईओ प्रतीक प्रधान द्वारा 4 सदस्यी जाँच टीम गठित की गई है। इसमें एडीओ गोपालगिरी, करारोपण अधिकारी दानेन्द्र ठाकुर, करारोपण अधिकारी हीरालाल चंद्रवंशी व मनरेगा विभाग से तकनीकी सहायक अविनाश कश्यप शामिल है। जांच दल को मामले की पारदर्शिता का पता लगाने जिम्मा सौंपा गया था लेकिन इस मामले में उल्टा जांच टीम पर ही पंचो ने सरपंच सचिव को बचाने के आरोप मढ़ दिए है।
सरपंच पति के बयान लिए
पंचो का कहना है कि कमेटी के सदस्य जब मामले की जांच करने पहुंचे थे तब महिला सरपंच से सवाल न कर उनके पति से सवाल जवाब किया गया। इस पर उपस्थित पंच व ग्रामीणों ने जांच टीम को महिला सरपंच से सवाल करने कहा। साथ ही यह भी बताया कि सरपंच पति द्वारा पंचायत के सभी कार्यो का निष्पादन किया जाता है। इसके अलावा कई सरकारी दस्तावेज़ में सरपंच के जगह उनके पति अपनी सरपंच पत्नी का फर्जी हस्ताक्षर करते है। विवाद तब बढ़ा जब जांच टीम के सदस्य एडीओ गोपाल गिरी ने आपत्ति कर रहे पंचो व ग्रामीणों को यह कह दिया कि गुडफेथ में सब चलता है। जांच दल के अधिकारी की इस बात से पंचो व ग्रामीणों में भ्रष्टाचार के जांच पर से भरोसा हटने की बात कह रहे है। साथ ही जांच टीम पर सरपंच को भ्रष्टाचार के मामले से बचाने के लिए लेनदेन करने का आरोप भी लगा रहे है।
सीईओ का विवादास्पद बयान
इस मामले में जांच की प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों को लेकर जनपद सीईओ कहते हैं, महिला सरपंच को अनुभव नहीं रहने के कारण उसके पति से सहयोग लिया जा सकता है। जबकि एसडीएम डोंगरगांव ने 31 मई को आदेश जारी कर महिला सशक्तीकरण का हवाला देते हुए महिला सरपंच के परिजनों को पंचायत के किसी भी कार्यो का संपादन नहीं करने तथा महिला सरपंच द्वारा स्वयं ही पंचायत के सभी कार्यो का संपादन करने का आदेश जारी किया गया था। साथ ही आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर इस तरह के किसी महिला सरपंच के परिजन का पंचायत के किसी कार्यो में हस्तक्षेप करने या शामिल रहने के शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत कड़ी कार्यवाही की जावेगी।
- महिला सरपंच को अनुभव नहीं रहने के कारण उसके पति से सहयोग लिया जा सकता है, फिलहाल इस मामले में आवेदक व अनावेदको से बयान लिया जा रहा है तीन चार चरणों में जांच होना हैं। संतुष्ट नहीं होने पर जिला से जांच करवा सकते हैं।
– प्रतीक प्रधान, सीईओ, जनपद पंचायत छुरिया
More Stories
एस्सेल माइनिंग की दो कोयला खदानों को निष्पादित करने में भारत में इस वर्ष कोयले की कमी हो जाएगी
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में स्मार्ट इंडिया हैकथॉन-2023
युवाओं को दरकिनार करना लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता कांग्रेस पर भारी – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)