July 2, 2025

सूखे की दस्तक : कई तहसीलों में पूरा अगस्त सूखा बीत गया फसल बर्बादी के कगार पर और किसान हार चुके हैं उम्मीद

औसत से कम बारिश और खाद की किल्लत से बिगड़ी स्थिति, किसान नेता राहत की मांगों को लेकर रणनीति बनाने में जुटे

पहले ही सूखे की आशंका इसलिए शुरु हुआ फसल का सर्वे, ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना जरुरी

राजनांदगांव@thethinkmedia.com

जिला सूखा के मुहाने पर खड़ा है। अगस्त माह में मॉनसून की बेरुखी, लगातार खाद की कमी और बिजली की कटौती जैसे हालातों से जूझ रहे किसान बेबस हैं। अनुमान है कि जिले में तकरीबन 70 से 80 फीसदी फसल बबार्दी की कगार पर है। अगस्त महिने में कई तहसीलों में 15-20 दिनों तक बारिश ही नहीं हुई। आने वाले दिनों में भी इसमें सुधार की कोई गुंजाईश नहीं दिख रही। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सप्ताह भर के भीतर अगर अच्छी बारिश होती है तो फसल बचाई जा सकती है लेकिन इसकी भी उम्मीद कम ही है। सबसे बड़ा पहलू यह कि किसान अब उम्मीद हार चुके हैं।
इस मॉनसून में अगस्त तक जिले में 77.1 प्रतिशत ही बारिश ही हुई है। यह नाकाफी है। इसका अंदाजा सरकार भी लगा चुकी है और यही कारण है कि प्रदेश सरकार ने किसानों को प्रति एकड़ 9 हजार रुपए की राहत देने की घोषणा कर दी है। दूसरी ओर जिले में फसल के सर्वे का काम भी शुरु हो चुका है। किसान जिला को सूखा घोषित करने की मांग कर रहे हैं। भाजपा किसान मोर्चा ने भी कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर सूखा घोषित करने की मांग पहले ही रख दी है। अगस्त सूखा गुजरा। आमतौर पर इस समय अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठते थे लेकिन इस बार यह महिना किसानों के लिए मायूसी लेकर आया। जिले के कई हिस्सों में महिने के 21 दिनों तक सूखा रहा। अधिकांश तहसीलों में 15-18 दिनों तक बारिश दर्ज नहीं की गई। ये आंकड़े सूखे के हालात बयां करने के लिए काफी हैं। किसानों के माथे में चिंता की लकीरें हैं। गांवों से पलायन शुरु हो चुका है। सूखे के हालात से निपटने के बीच अब ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराए जाने की सख्त जरुरत है।

किसान संघ की बैठक आज, मोर्चा का प्रतिनिधमंडल कलेक्टर से मिलेगा

किसान संघ इस संबंध में शुक्रवार को कृषि उपज मंडी में बैठक करने वाला है। इस बैठक में सूखे के हालात को लेकर चर्चा और सरकार से राहत को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। संघ के नेता और किसान सुदेश टीकम का कहते हैं, जिले में बारिश के हालात असमान्य हैं। हालात बेहद खराब हैं और किसानों के लिए लागत वसूल पाना भी मुश्किल है। जिला भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष हीरेंद्र साहू कहते हैं, हमने पहले ही जिले को सूखा घोषित करने की मांग रखी है। किसानों ने खेती के लिए कर्ज लिया हुआ है। ऐसे हालातों से जल्द निपटने सरकार को रणनीति बनानी चाहिए। कुछ ही दिनों में हमार प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मुलाकात करेगा।

गंडई और मोहला में 20 दिनों तक नहीं हुई बारिश

अगस्त में बारिश की बेरुखी ने फसल को खासा नुकसान पहुंचाया। ये वह वक्त होता है जब फसल को पानी और खाद की सबसे ज्यादा जरुरत होती है। लेकिन जिले की तहसीलों में बारिश के दर्ज आंकड़े आपका सूखा पडऩे के हालात समझाने के लिए काफी हैं। रही-सही कसर खाद की किल्लत ने पूरी कर दी। बिजली कटौती को लेकर भी शिकायतों का लंबा दौर चला। इसका असर उन खेतों पर भी पड़ा जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध थी। बहरहाल जिले की कई तहसीलों में अगस्त माह में कम बारिश ने ही सुखे के मुहाने पर ला खड़ा किया है।
भू-अभिलेख शाखा के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त में गंडई तहसील में सबसे ज्यादा 21 दिनों तक बारिश ही नहीं हुई। माह भर में महज 10 दिनों में यहां बारिश दर्ज की गई है। वनांचल मोहला भी इससे अछूता नहीं हैं। यहां 22 दिनों में बारिश का कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है। डोंगरगढ़ में भी 20 दिनों तक बारिश नहीं हुई। खैरागढ़, छुईखदान, छुरिया और डोंगरगांव में 19-19 दिनों का सूखा पड़ा। राजनांदगांव में भी महज 13 दिन ही बारिश हुई। अंबागढ़ चौकी में 17 और मानपुर में 12 दिनों तक बारिश नहीं हुई।

पलायन शुरु हो चुका

जिले के कई हिस्सों से पलायन शुरु हो गया है। कोविड को लेकर हालात सामान्य हैं ऐसी स्थिति में ग्रामीण रोजगार की तलाश में बाहर निकल रहे हैं। भाजपा किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष हीरेंद्र कहते हैं, खेती से होना वाला फायदा तो दूर इससे फसल होगी या भी नहीं ये आशंकाएं किसानों में घर कर गई है। हालात बुरे हैं। ऐसे में वे अपने आजीविका के लिए दूसरे रास्तों पर निकल रहे हैं। गांवों से पलायन हो रहा है। गौरतलब है कि जिले के ग्रामीण इलाकों से बड़ी तादाद में ग्रामीण पलायन कर जाते हैं। लेकिन इस बारे हालात इसलिए बदले हुए हैं कि लोग फसल कटने से पहले ही ऐसा कर रहे हैं।

खाद की किल्लत अब भी बरकरार

अगर मौजूदा समय में बारिश होती है तो किसानों का यूरिया की जरुरत होगी। जिले में लगभग 90 प्रतिशत किसान सोसायटियों से ही खाद लेते हैं। लेकिन पूरे खरीफ सीजऩ में खाद की किल्लत बनी हुई है। शुरु से लेकर अब तक किसानों को खाद के लिए जूझना पड़ रहा है। जहां सोसायटियों में खाद नहीं है तो दूसरी ओर बाजार में इसे दोगुने-तिगुने दाम में बेचा जा रहा है। किसान कालाबाजारी को शिकार हो रहे हैं लेकिन खाद की कमी पूरा न होने के चलते वे ज्यादा दाम चुकाने मजबूर हैं।

औसत वर्षा से काफी कम हुई बारिश

भू-अभिलेख शाखा द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बीते 10 वर्षों में हुई बारिश के आधार पर जून से अगस्त महिने तक जिले में औसत 776.4 मिमी होनी थी लेकिन इस दौरान महज 598.7 मिमी बारिश ही हुई। इन आंकड़ों के हिसाब से 178 मिमी कम बारिश हुई। खासकर अगस्त के महिने में पड़े सूखे ने फसलों को बबार्दी की कगार पर ला कर खड़ा दिया। एक जून से 31 अगस्त के आंकड़ों के मुताबिक जिले के छुरिया विकासखंड में औसत से लगभग तीन सौ मिमी कम बारिश दर्ज की गई है। राजनांदगांव में औसत 250 मिमी कम बारिश दर्ज हुई है। डोंगरगांव में 110 मिमी कम वर्षा दर्ज की गई। अंबागढ़ चौकी में 310 मिमी। मोहला में 260 मिमी और मानपुर में 2 सौ मिमी कम बारिश हुई है। गंडई में औसत से लगभग सौ मिमी कम बारिश दर्ज हुई। खैरागढ़, छुईखदान में भी हालात ऐसे ही हैं। डोंगरगढ़ में यह अंतर 170 मिमी का है।

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