निगम अमले के कुछ नामों सहित सेंटर की पूर्व संचालिकाएं कठघरे में, सड़क पर उतरी स्वच्छता दीदीयां
राजनांदगांव@thethinkmedia.com
कचरा संग्रहण केंद्रों से करीब डेढ़ करोड़ की कबाड़ी के घोटाले का मामले को लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया है। स्वच्छता दीदीयां और मजदूर नेता इस पूरे मामले में कार्रवाई को लेकर मुखर हैं। दरअसल, यह घोटाला सीधे तौर पर असल हितग्राहियों से ठगी और निगम अफसरों की मिलीभगत से किए गए भ्रष्टाचार का मामला बताया जा रहा है। इसे लेकर कोतवाली थाने में शिकायत भी दर्ज कराई गई है लेकिन इस पर अब तक किसी तरह की पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है। गुरुवार को सफाई का जिम्मा संभालने वाली स्वच्छता दीदीयां अपने हक को लेकर सड़क पर उतर आईं। मजूदर संगठन ने रैली निकालकर निगम में चल रहे भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश की और कलेक्टर के नाम ज्ञापन भी सौंपा। संगठन और स्वच्छता दीदीयों ने कहा कि बीते चार साल में एक करोड़ 60 लाख की कबाड़ी संग्रहण केंद्रों से बेची गई। इसमें से महज 8 लाख रुपए उन्हें मिल पाएं हैं। जबकि यह पूरी रकम उनके ही हिस्से आनी थी। नगरी प्रशासन द्वारा जारी आदेश में साफ है कि वेतन के अतिरिक्त संग्रहण केंद्रों में जमा कबाड़ को बेचकर आने वाले रुपए भी उन्हें ही मिलने चाहिए। दरअसल, शहर में 17 एसएलआरएम सेंटर संचालित हैं। कुछ दिनों पहले तक इसे महिला सहायता समूहों द्वारा चलाया जा रहा था। बाद में सभी समूहों को मिलाकर महासंघ बनाया गया और इसके ही तहत एसएलआरएम सेंटरों का संचालन किया जा रहा था। आरोप है कि इस दौरान बेचे गए कबाड़ का पैसा इन सेंटर की संचालिकाओं और निगम के अफसरों ने मिलीभगत कर हजम कर लिया। स्वच्छता दीदीयों का कहना है कि यह रकम तकरीबन एक करोड़ 60 लाख रुपए की होती है जिसमें से उन्हें महज 8 लाख रुपए ही दो-दो हजार की किश्त में मिले हैं।
गुपचुप बदल दिया ठेका
आरोप यह भी है कि इस भ्रष्टाचार को उजागर करने का सिलसिला शुरु हुआ तो संचालिकाओं ने सफाई ठेका चलाने में असमर्थता जताते हुए निगम को पत्र लिखा। इसके बाद गुपचुप तरीके से नया ठेका शंकरपुर की किसी महिला स्व सहायता समूह को दे दिया गया। इस पूरे मामले में अफसरों और संचालिकाओं की मिलीभगत के आरोप हैं। पूर्व में बेचे गई कबाड़ की रकम का अब तक कोई हिसाब नहीं हैं और इस रकम पर अपने हक को लेकर ही स्वच्छता दीदीयों ने मोर्चा खोल रखा है। स्वच्छता दीदीयों का कहना है कि महज संचालिकाओं के पत्र पर ठेका बदल दिया गया जबकि अन्य महिलाओं से कोई सहमति नहीं ली गई।
गोठन की राशि भी नहीं मिली
कचरा संग्रहण केंद्र में होने वाली आय और गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के बाद बेची गई खाद, लकड़ी जैसे माध्यमों से होने वाली आय स्वच्छता दीदीयों को दी जानी है। लेकिन सिवाए 6 हजार वेतन के इन्हें कोई और लाभ नहीं मिल पा रहा है। वहीं महिलाओं को 8 से 10 घंटे काम करना पड़ रहा है। पहले यह सिर्फ डोर टू डोर कचरा संग्रहण व इससे संबंधित अन्य कार्यों में संलग्न थीं। लेकिन बाद में इन्हें गोबर खरीदी और इससे संबंधित कार्यों में भी संलग्न किया गया है। गोठान से होने वाली आवक का भुगतान भी इन्हें 10 महिनों से नहीं मिल सका है।
जमातपारा सेंटर में अब भी तालाबंद
बीते तीन-चार दिनों से जमातपारा स्थित कचरा संग्रहण केंद्र में ताला लटका हुआ है। इसके चलते इस इलाके में सफाई व्यवस्था चरमरा रही है। डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाले रिक्शे भी सेंटर के अंदर ही हैं। यहां का ताला खुलवाने महिला कर्मियों ने निगम के अफसरों से भी मांग की। पुलिस को भी इस मामले में सूचित किया गया लेकिन अब तक यह ताला नहीं खुल सका है। निगम प्रशासन भी इसे लेकर बेपरवाह रवैया ही दिखा रहा है।
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