पानी की बबार्दी पर नजर रखने कड़े इंतजाम
भाटापारा@thethinkmedia.com
सिंचाई के लिए गंगरेल बांध से छोड़ा गया पानी अगले दो दिन के भीतर ब्लॉक में प्रवेश कर सकता है। बांध मे जल भंडारण की स्थिति को देखते हुए इस बार पानी की बबार्दी पर नजर रखने की विशेष व्यवस्था पक्की कर ली गई है।
बारिश की चिंताजनक मात्रा को देखते हुए फसलों को जीवन देने के लिए गंगरेल सहित प्रदेश के सभी जलाशयों के गेट खोले जा चुके हैं। इसी कड़ी में जिले को जीवन देने वाला गंगरेल जलाशय से छोड़ा गया पानी अगले दो दिन में विकासखंड के गांवों तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। मात्रा भले ही कम हो लेकिन एक बड़े हिस्से की फसलों की प्यास बुझाने में मदद मिलने की संभावना है।
मांग और आपूर्ति : भाटापारा शाखा नहर अनुविभाग ने क्षेत्र के लिए प्रतिदिन 1100 क्यूसेक पानी की मांग की है लेकिन चौतरफा मांग और जलाशय में जल भंडारण की स्थिति को देखते हुए 400 क्यूसेक पानी प्रतिदिन देने की मंजूरी दी जा चुकी है। यह मात्रा मांग के लिहाज से काफी कम है लेकिन पानी की राह देख रहीं फसलों को जीवन मिलेगा। इस बीच मौसम विभाग ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है।
संभावना इसकी भी : पर्याप्त बारिश नहीं होने से अब भी भूजल स्तर में सुधार नहीं आ पाया है। बोरवेल चालू तो हैं लेकिन पानी की निकल रही मात्रा अभी बेहद कम है। लिहाजा फसलों को चाही गई मात्रा में पानी नहीं मिल पा रहा है। गंगरेल से नहरों के जरिए पहुंचने वाले पानी से भूजल के स्तर में सुधार की संभावना जताई जा रही है।
नदियां दे रहीं सहारा : जिले से होकर बहने वाली नदियों में महानदी, शिवनाथ, जोंक सहित अन्य छोटी नदियों के तटीय क्षेत्रों में बसे गांव के किसान, नदियों से सिंचाई की व्यवस्था करने लगे हैं क्योंकि अब और ज्यादा दिन तक फसलों को सुरक्षित रखा जाना संभव दिखाई नहीं देता। विभाग ने भी मंजूरी दे दी है। पंप, पाईप, डीजल या बिजली की व्यवस्था किसानों को ही करनी होगी।
- गंगरेल से छोड़ा गया पानी, अगले 2 दिन के भीतर ब्लॉक में प्रवेश कर जाएगा। मात्रा कम जरूर है लेकिन संकट पर नियंत्रण पाने में निश्चित ही मदद मिलेगी।
-केके. खरे, एसडीओ, भाटापारा शाखा नहर संभाग, तिल्दा
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