October 14, 2025

तिलक परगनिहा की पुण्यतिथि पर हुआ कवि सम्मेलन, कवि को कवि के गृह ग्राम सुरजीडीह में दी गई श्रद्धांजलि हिन्दी और छत्तीसगढ़ी रचनाओं से बिखरी सतरंगी छटा

कुम्हारी

प्रगतिशील विचारों के संवाहक कवि स्व. तिलक परगनिहा की चौबीसवीं पुण्य स्मृति में उनके गृह ग्राम सुरजीडीह में ऋ तंभरा साहित्य समिति के तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ. उपस्थित अतिथियों व कवियों ने तिलक के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम संयोजक मन्नूलाल परगनिहा ने अपने स्व. सुपुत्र कवि तिलक परगनिहा से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए कहा -तिलक की साहित्य के प्रति समर्पण देखकर मैंने तय किया था कि उनके पुण्यतिथि पर हर वर्ष कवि सम्मेलन आयोजित हो. ऋ तंभरा साहित्य समिति के सहयोग से यह साहित्यिक आयोजन सतत् होता आ रहा है.

कवि सम्मेलन में प्रतिभागिता के लिए आप सभी कवियों का आभारी हूँ। मुख्य अतिथि लोकसभा सांसद दुर्ग विजय बघेल ने लक्ष्मण मस्तुरिया के प्रसिद्ध गीत ‘मोर संग चलव रेÓ का सस्वर गायन कर तिलक को श्रद्धासुमन अर्पित किया। ऋ तंभरा साहित्य समिति के अध्यक्ष नारायण वर्मा ने कहा -‘कवि तिलक संस्था के अग्रिम पंक्ति के कवि थे. उनके प्रगतिशील वैचारिक कविताएँ ‘शिलालेखÓ कविता संग्रह में संकलित है। वे असमय जाने वाले ऊर्जा से भरे कवि थे किन्तु सदैव हमारे प्रेरणापुंज बने रहेंगे। विशेष अतिथि नीलकंठ देवांगन ने पर्यावरण संरक्षण पर केन्द्रित तरन्नुम में सामयिक गीत प्रस्तुत किया -‘पेड़ लगाओ, पेड़ लगाओ।

युवा कवि यशवंत सूर्यवंशी ने मनहरण घनाक्षरी में छंदबद्ध लय में कविता की शानदार प्रस्तुति दी।
शायर नौशाद ने अपने गज़ल से मंच को नई ऊंचाई दी -‘ उनसे मुलाकात होने वाली है। दिल से दिल की बात होने वाली है। छत्तीसगढ़ी वरिष्ठ गीतकार हेमलाल साहू ‘निर्मोहीÓ ने अपने गीत में जीवन के राग-विराग का जीवंत वर्णन किया। सुरीले कंठ के धनी प्रियर्शनदेव बर्मन के सुमधुर छत्तीसगढ़ी गीत ने बरबस ही सबके हृदय को स्पर्श किया। छगनलाल सोनी की गिनती पर आधारित व्यंग्य कविता श्रोताओं को गुदगुदाने में सफल रही. हेमंत मढ़रिया ने अतुकांत कविता का प्रभावशाली पाठ किया। मंच से अन्य कवियों ने भी अपनी-अपनी रचनाओं से श्रोताओं को सराबोर किया. कविता पाठ करने वाले प्रमुख कवियों में लखनलाल साहू, सुनीता परगनिहा, श्रीमती मीना वर्मा, चिन्तामणि साहू, रघुनाथ देशमुख, ओमवीर करण, रामाधार शर्मा, जगन्नाथ निषाद, बिसरूराम कुर्रे, अर्जुन पेड़ीडिहा, कामता प्रसाद दिवाकर, संजय चन्द्राकर, गणेश वर्मा, रमाकांत सोनी, श्रीनाथ जायसवाल, बालमुकुंद मढ़रिया आदि की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। कार्यक्रम का संचालन नरेश विश्वकर्मा ने तथा आभार प्रदर्शन सुनीता परगनिहा ने किया. कवि सम्मेलन के समापन पर स्व. तिलक परगनिहा को उपस्थित कवियों और श्रोताओं ने दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि दी।

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