July 1, 2025

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मजबूती के लिए आगे आये निजी क्षेत्र : राजनाथ

नई दिल्ली @cgpioneer.in
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रौद्योगिकी आधारित विकास पर जोर देते हुए निजी क्षेत्र से सशक्त और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में आगे आकर योगदान देने का आह्वान किया है। सिंह ने गुरूवार को डिफेंस इंडिया स्टार्ट अप चैलेंज 0.5 की वीडियो कांफ्रेन्स से शुरूआत करते हुए कहा कि दुनिया के विकसित देशों ने प्रौद्योगिकी के आधार पर ही विकास किया है इसलिए प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब-जब प्रौद्योगिकी की बात होती है, मेरे मन में अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे उन्नत देश आते हैं। मुझे बतलाया गया है कि ये उन्नत देश अपनी प्रौद्योगिकी के दम पर आगे बढे हैं। इन राष्ट्रों का विकास प्रौद्योगिकी आधारित आर्थिक विकास के आधार पर हुआ है। मैं सरकार की ओर से सभी संभव सहयोग का आश्वासन देते हुए, निजी क्षेत्र का आह्वान करता हूँ कि आप लोग आगे आएं, और एक सशक्त और आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र के निर्माण में अपना योगदान दें। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह चैलेंज ऐसे समय शुरू किया जा रहा है जब देश स्वाधीनता की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। इससे हम एक तरह से रक्षा क्षेत्र में स्वाधीनता की ओर एक और कदम आगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में सुरक्षा परिदृश्य के तेजी से बदलने के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियाँ भी बढ रही हैं और जटिल भी होती जा रही है। साथ ही विश्व की भू- राजनीतिक परिस्थितियों में भी लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। सिंह ने कहा कि मजबूत, आधुनिक और सुसज्जित सेनाएं तैयार करने साथ ही रक्षा उद्योग को भी तैयार किये जाने की जरूरत है जो मजबूत,क्षमतावान, दक्ष और पूरी तरह ‘आत्मनिर्भरÓ हो। इस मामले में आईडेक्स एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ सरकार, सेना , थिंक टैंक, उद्योग , स्टार्टअप और नवाचारी रक्षा तथा एयरोस्पेस सेक्टर को नई उंचाइयों पर ले जाने के लिए मिलकर काम करते हैं। उन्होंने कहा कि देश में न तो प्रतिभा की कमी है और न ही मांग की लेकिन साझा मंच के न होने से इनमें तालमेल नहीं हो पाता था। अब आईडेक्स यह कमी काफी हद तक पूरी कर रहा है। इसके तहत सेनाओं, रक्षा क्षेत्र के उपक्रमों और आयुध निर्माणियों के सामने आ रही समस्याओं की पहचान की जाती है, और उनका समाधान खोजने के लिए उन्हें उद्यमियों , एमएसएमई , स्टार्टअप और नवाचार करने वालों के सामने लाया जाता है। फौजियों के लिए आईडेक्स भी इसी तरह की पहल है जो हमारे सैन्यकर्मियों को इन क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर देती है। यानि कुल मिलाकर देखें तो यह आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक बन रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि डिफेंस इंडिया स्टार्टअप का हर संस्करण पिछली बार से कहीं अधिक व्यापक और समस्याओं में विविधता लिये हुए होता है। इस बार इन चैलेंज की संख्या 35 है जो अब तक की सर्वाधिक है। ये समस्या स्थिति के बारे में जागरूकता, कृत्रिम बौद्धिकता, प्रशिक्षू विमान, गैर घातक उपकरण, 5 जी नेटवर्क , ड्रोन स्वार्म और डाटा से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि रक्षा खरीद नीति के तहत होने वाली खरीददारियों में अब आईडेक्स को भी शामिल कर लिया गया है। मंत्रालय ने मौजूदा वित्त वर्ष में इस तरह की खरीदों के लिए एक हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। आईडेक्स का लक्ष्य प्रगति की गति को बढ़ाना, लागत को घटाना और खरीद को समयबद्ध तरीके से पूरा करना है। इसके लिए हमें आईडेन्टिफाई, इन्क्यूबेट, इन्नोवेट , इंटिग्रेट और इंडिजेनाइज की पांच आई की मूल अवधारणा को अपनाना है। सिंह ने कहा कि स्टार्टअप जहाँ हमारी युवा क्षमताओं को एक प्लेटफार्म देते हैं, वहीं देश में रोजगार की भी सम्भावना बढ़ाते हैं। सरकार यह अनुमान करती है, कि रक्षा संबंधी आयातों में अगर 20-25 फ़ीसदी की भी कमी आती है तो उसके बदले हमारे यहाँ एक से सवा लाख तक उच्च कौशल रोजगार पैदा होंगे। हमें यह देखना होगा, कि इन विनर्स के आइडिया पर हम कितना आगे बढ़े हैं। अब तक कितने प्रोटोटाइप विकसित करने की दिशा में हम आगे बढ़े हैं? या इस दिशा में आगे बढऩे की गति अगर धीमी है तो उसके पीछे क्या कारण है?”

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