नई दिल्ली @cgpioneer.in
कांग्रेस तथा कई अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद से चलकर शुक्रवार को जंतर-मंतर पर आयोजित ‘किसान संसद में हिस्सा लिया और किसानों के साथ उनकी मांगों के समर्थन में एकजुटता का प्रदर्शन किया। विपक्ष के 14 दलों के नेताओं की सुबह संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले संसद भवन में बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि उनके सभी प्रमुख नेता किसानों की मांग के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जंतर-मंतर जाएंगे। उसके बाद विपक्षी नेता संसद से बस में सवार होकर जंतर-मंतर के लिए रवाना हुए। संसद के मानसून सत्र में पेगासस, किसानों के मुद्दे तथा महंगाई को लेकर विपक्षी दल हंगामा कर रहे हैं जिसके कारण संसद की कार्यवाही नहीं चल पा रही है। संसद की कार्यवाही शुक्रवार को भी विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामा तथा शोरशराबे के कारण दोपहर 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष के जिन नेताओं ने जंतर-मंतर पर ‘किसान संसद में हिस्सा लिया, उनमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी सांसद मनीष तिवारी, अम्बिका सोनी के अलावा आईएमयूएल के ई टी बशीर, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राजद के मनोज झा, शिव सेना के संजय राउत, नेशलन कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी के साथ ही समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिव सेना, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, आम आदमी पार्टी और कई अन्य दलों के नेता शामिल हुए। विपक्ष के नेताओं ने यहां प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वे एकजुट होकर उनके साथ खड़े हैं और जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाती तब तक वे किसानों के साथ मिलकर उनकी लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानून किसानों के हित में नहीं हैं,इसलिए इन तीनों कानूनों को सरकार को वापस लेना चाहिए।
किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं, कृषि कानून खत्म करे सरकार : राहुल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि उनकी पार्टी और अन्य विपक्षी दल संसद में किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहते बल्कि सरकार से किसान विरोधी कृषि संबंधी तीनों कानूनों को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। श्री गांधी ने विपक्षी दलों के साथ जंतर-मंतर पर आयोजित ‘किसान संसदÓ में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों के सवाल पर कहा कि विपक्ष को अब किसानों के मुद्दे पर चर्चा नहीं चाहिए। चर्चा से अब काम नहीं चलेगा इसलिए सरकार को कृषि संबंधी तीनों कानून रद्द करने चाहिए। कांग्रेस नेता नेे कहा कि चर्चा का समय निकल चुका है। कृषि कानून किसानों के हित में नहीं है इसलिए सरकार को आंदोलनकारी किसानों की बात मानते हुए तीनों कानूनों को तत्काल समाप्त करने की घोषणा करनी चाहिए। श्री गांधी से जब पूछा गया कि सरकार ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार होने की बात की है तो श्री गांधी कहा कि नहीं, नहीं! चर्चा से कोई काम नहीं चलेगा। ये काले कानून हैं, इनको रद्द करना पड़ेगा। उन्होंने कहा, “आज विपक्षी दलों ने मिलकर किसान की समस्या के प्रति और इन काले कानूनों को हटाने के लिए अपना पूरा समर्थन दिया है। पार्लियामेंट में आप जानते हैं कि क्या हो रहा है। पार्लियामेंट में हम पेगासस की बात करना चाहते हैं, वहाँ पर वह पेगासस की बात नहीं होने दे रहे हैं। नरेन्द्र मोदी जी हर हिंदुस्तानी के फोन के अंदर घुस गए हैं। यहाँ पर हम हिंदुस्तान के सब किसानों को अपना पूरा का पूरा समर्थन देने आए हैं।” कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी कृषि कानून समाप्त करने की मांग करते हुए ट्वीट किया, “अन्नदाता हमारे देश की आत्मा हैं। संसद में बैठे लोग इन्हीं अन्नदाताओं की वजह से आज संसद में हैं। संसद से सड़क तक अन्नदाताओं की आवाज उठाना हम सबका फर्ज है। हम किसानों के साथ हैं। काले कानून रद्द करो।” कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि पूरा विपक्ष किसानों की मांगों पर एकजुट है। उन्होंने कहा, “आज श्री राहुल गांधी सहित 14 राजनीतिक दल के नेता जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल हुए। किसानों की लड़ाई को अपना सहयोग दिया तथा किसान की लड़ाई में समर्थन का निर्णायक निश्चय दोहराया। किसानों ने भी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया।”
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