October 14, 2025

तालाब पर कैसे बना मैग्नेटो माल, शासन और नगर निगम बिलासपुर को हाईकोर्ट का नोटिस

बिलासपुर @cgpioneer.in
शहर के सबसे बड़े मैग्नेटो माल के तालाब पर बने होने के मामले में लगी याचिका पर हाईकोर्ट सख्त नजर आया है , तालाब पर बने माल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक चीफ जस्टिस ने शासन और नगर निगम बिलासपुर से जवाब तालाब किया है दो हप्ते में मामले में जवाब पेश करने का आदेश दिया है। राजनीतिक रसूख रखने वालों से जुड़ा मैग्नेटो माल तालाब पर बना है मामले को लेकर जनहित यचिका लगाई गई है। अधिवक्ता अर्जित तिवारी ने इसमे पक्ष रखा है। याचिका में में कहा गया गया है कि किसी भी जल स्रोत पर निर्माण नही किया जा सकता न उसके स्वरूप को बिगड़ा जा सकता है। और मैग्नेटो माल तालाब पर बना दिया गया है इससे वाटर लेबल नीचे गया और नैसर्गिक स्रोत को पाट कर माल बना दिया गया जो पूर्णत: गलत है जलस्रोत जनउपयोगी और जनहित के लिये होता है ऐसे में किसी तालाब को पाट कर माल बनानां गलत है । मामले में शासन और नगर निगम से जवाब तलब किया गया है।
मामला 2005 से 2007 के बीच का है।
जीपी सिंह को बड़ा झटका, नहीं मिली राहत
निलंबित एडीजी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई जांच कराने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। इसी तरह राजद्रोह प्रकरण में भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। जस्टिस एनके व्यास की एकल पीठ ने जीपी सिंह की दोनों याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी, और फैसला सुरक्षित रखा था। शुक्रवार को दोनों याचिका पर कोर्ट ने आदेश पारित किए है और इसमें जीपी सिंह को कोई राहत नहीं मिली है। जीपी सिंह की तरफ से पैरवी सीनियर एडवोकेट किशोर भादुड़ी ने की, और राजद्रोह प्रकरण में सरकार की तरफ से एडिशनल एडवोकेट जनरल अमृतोदास ने पैरवी की। कोर्ट ने जीपी सिंह की दोनों याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से केस डायरी तलब की थी। जीपी सिंह ने अंतरिम राहत की मांग को लेकर अपनी पहली याचिका लगाई थी। एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत मिली थी। शिकायत के बाद सिंह के सरकारी आवास समेत लगभग 10 ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की गई। 68 घंटे चले मैराथन छापेमार कार्रवाई में एसीबी को जीपी सिंह के खिलाफ 10 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति के दस्तावेज मिले थे। वहीं बाद में उनके ऊपर राजद्रोह का मामला भी दर्ज कर दिया गया। राजद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद से ही जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है। रिट याचिका दायर करते हुए पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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