July 2, 2025

जनता के रूपयों की बंदरबांट : 12 करोड़ की अनियमितता उजागर, बिना टेण्डर 7 करोड़ की खरीदी

जशपुरनगर @cgpioneer.in
जशपुर जिला अस्पताल में करोड़ों के फर्जीवाड़े की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जनता के पैसे का खुलकर बंदरबांट करने की पुष्टि अधिकारियों को हुई है। दो साल में 12 करोड़ की सुनियोजित अनियिमतता किए जाने का खुलासा हुआ है। जांच रिपोर्ट से संबंधित प्राप्त दस्तावेजों के मुताबिक कार्यालय सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जशपुर के द्वारा 2019-20 व 2020-21 में बिना क्रय नियमों का पालन किए बगैर टेंडर करोड़ों की खरीददारी की पुष्टि हुई है। जशपुर कलेक्टर महादेव कावरे ने पांच सदस्यीय जाँच टीम बनाकर मामले की जांच कराई थी जिसमें लगभग 12 करोड़ की आर्थिक अनियमितता सामने आई है। जाँच में अनियमितता सामने आने के बाद दोषी सिविल सर्जन एफ खाखा,आरएमओ अनुरंजन टोप्पो सहित,स्टोर प्रभारी व अन्य के खिलाफ कार्यवाही की अनुशंसा करते हुए कलेक्टर ने संचालक संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएँ रायपुर को जाँच रिपोर्ट भेज दी है।
20 दिनों तक हुई जांच- उक्त मामले में 20 दिनों की गहन जाँच के बाद जाँच टीम द्वारा मामले की रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई है, जिसमें कई चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। जांच प्रतिवेदन के अनुसार वर्ष 2019-20 एवं 2020-21 में लगभग 12 करोड़ का छत्तीसगढ़ भण्डार क्रय नियम का पालन किए बिना अनियमितता की गई है। चूककर्ता सिविल सर्जन एफ खाखा,आरएमओ अनुरंजन टोप्पो सहित,स्टोर प्रभारी समेत जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों के विरुद्ध कार्यवाही की अनुशंसा की गई है।
इनके द्वारा की गई जांच – आपको बता दें कि प्रारम्भ में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन हुआ था जिसमें आपत्ति के बाद कलेक्टर महादेव कावरे ने एडिशनल कलेक्टर को शामिल करते हुए 5 सदस्यीय टीम से मामले की जाँच कराई थी। सीईओ जिला पंचायत केएस मंडावी,एडिशनल कलेक्टर आईएल ठाकुर,महाप्रबंधक उद्योग विभाग पैंकरा,लेखाधिकारी जिला पंचायत ए सिन्हा व जिला कोषालय अधिकारी जीपी गिदुडे की टीम ने पुरे मामले की गंभीरता से जाँच की जिसमें लगभग 12 करोड़ की खरीदी की अनियमितता सामने आई है जिसमें क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया वहीँ स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर फर्जी फर्मों से फर्जी खरीदी की गई है।
आरोपी अब भी पद पर आसीन – सबसे बड़ी बात यह कि जिला अस्पताल में पदस्थ सिविल सर्जन एफ खाखा व आरएमओ अनुरंजन टोप्पो की मिलीभगत से लगातार शासकीय राशि का बंदरबाट किया गया। जिलेवासियों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आए शासन के पैसे का जमकर दुरूपयोग किया गया। आपको जानकर हैरानी होगी की इन भ्रष्ट अधिकारियों ने फर्जी फर्म बनाकर फर्जी खरीददारी तक को अंजाम दिया है।इतना ही नहीं बाकायदा फर्जी फर्म का फर्जी दस्तावेज बनवाकर लगातार पैसे का बंदरबाट किया गया है।इसके बावजूद सीएस व अन्य अधिकारी कर्मचारी अब भी अपने पद पर बने हुए हैं।
यह हैं भ्रष्टाचार के प्रमुख – वर्ष 2019-20 व 2020-21 के दौरान सिविल सर्जन एफ खाखा,आरएमओ अनुरंजन टोप्पो,स्टोर प्रभारी श्रीमती उषा लकड़ा,लेखापाल हमीर अली,लेखापाल जोगीराम,लेखापाल सुरेश टोप्पो,लेखापाल संदीप दास,लेखापाल सुरेश टोप्पो,स्टोर लिपिक स्वाधीन साहू,तेज प्रसाद चौहान,स्टोर प्रभारी हरिप्रसाद डनसेना के पदस्थ रहते हुए उक्त अनियमितता हुई है। मामले में कार्यवाही के लिए शासन को पत्र भेजा गया है वहीँ अपराधिक प्रकरण दर्ज कर कड़ी कार्यवाही की मांग भी उठने लगी है।
57 लाख की डे्रस नर्सों को – आपको जानकर हैरानी होगी कि दो वर्षों में नर्सों व कर्मचारियों के लिए 57 लाख 14 हजार 897 रूपए के केवल कपडे खरीदे गए।और मजे की बात यह है कि जिस फर्म का नामोनिशान नहीं है उस फर्म से भ्रष्ट अधिकारीयों ने खरीदी कर ली।जिसमें कुमुद टेक्सटाईल खादी गम्हरिया जशपुर को 10 लाख से ऊपर की राशि का भुगतान किया गया है। जाँच टीम को यह पता चला कि यह फर्म ग्रामोद्योग में पंजीकृत ही नहीं है।जबकि नियमानुसार हथकरघा विकास को यह आर्डर जारी करना था वह भी भण्डार क्रय नियमों के अनुसार।मेसर्स कुमुद वस्त्रालय से भी लाखों की खरीदी बिना नियमों के की गई है।
कागजों में करोड़ों की खरीदी- उक्त दो वर्षों में मेडिकल सामग्री,विद्युत् सामग्री,सर्जिकल सामान,मेडिसीन,वस्त्र,कंप्यूटर समेत अन्य सामग्री की खरीदी का भुगतान सिविल सर्जन द्वारा किया गया है।जिसकी राशि लगभग 1करोड़ 67 लाख 5 हजार 704 रूपए है।विभिन्न फर्मों को उक्त राशि का भुगतान किया गया है जबकि खरीदे गए सामान स्टाक में उपलब्ध नहीं हैं और न ही स्टाक रजिस्टर में उनकी इंट्री की गई है।
निर्माण में 22 लाख का घोटाला- लगभग 4 बिल व्हाउचर के माध्यम से फर्म सुनील मिश्रा को 21 लाख 2 हजार 635 रूपए का भुगतान निर्माण कार्य के एवज में किया गया है।जबकि उक्त निर्माण कार्य का मूल्यांकन किसी इंजिनियर द्वारा नहीं कराया गया है।वहीँ बात करें सिविल सर्जन को प्राप्त अधिकारों की तो 25 हजार से अधिक की राशि की मरम्मत ,रिपेयरिंग का अधिकार सिविल सर्जन को नहीं है जबकि 21 लाख से अधिक का भुगतान कर दिया गया है को बड़ी आर्थिक अनियमितता है।
बिना टेंडर 7 करोड़ की खरीदी- जिला अस्पताल द्वारा 80 बिल व्हाउचर के माध्यम से विभिन्न फार्मों से 7 करोड़ 89 लाख 35 हजार 453 रूपए की खरीदी की गई है जिसमें क्रय नियमों का पालन नहीं किया गया है।उक्त खरीदी में दवाईयां,मेडिकल सामान,उपकरण क्रय शामिल हैं।छत्तीसगड़ भण्डार क्रय नियम 2002 के नियम 4.3.3 के तहत खुली निविदा जारी नहीं की गई है।क्रय समिति का गठन नहीं किया गया है और न ही क्रय समिति द्वारा सामग्री का भौतिक सत्यापन किया गया है।वहीँ वित्तीय नियमों की अनदेखी करते हुए श्याम सर्जिकल व मेसर्स रायपुर साईंटिफिक को करोड़ों का भुगतान किया गया है। इसके अलावा जांच टीम को अन्य मामलों में भी आर्थिक अनियमितता मिली है जिसकी लिस्ट लम्बी है।फिलहाल विस्तृत जांच रिपोर्ट शासन को भेजा गया है जिसमें दोषी अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही की मांग करते हुए पत्र भेजा गया है।

जिला अस्पताल मामले में जांच टीम द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है जिसमें लगभग 12 करोड़ की अनियमितता सामने आई है। सिविल सर्जन, आरएमओ सहित,स्टोर प्रभारी व अन्य दोषी पाए गए हैं। कार्यवाही के लिए विस्तृत जांच रिपोर्ट संचालक संचालनालय, स्वास्थ्य सेवाएँ रायपुर को भेज दी गई है।
महादेव कावरे, कलेक्टर जशपुर

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