तिल्दा नेवरा@thethinkmedia.com
राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा, किसानों की आय को बढ़ाने के लिए और शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के उद्देश्य से रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन तिल्दा नेवरा में यह अभियान फेल होता नजर आ रहा है।शासन के निदेर्शों के बावजूद तिल्दा नेवरा नगर पालिका क्षेत्र में रोका छेका अभियान धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। पशुओं की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी। जिसके तहत मवेशियों को गौठानों में रखने की योजना है। शासन की महत्तवकांक्षी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ दिखावे तक ही सीमित नजर आ रहा है। तिल्दा नेवरा नगर पालिका क्षेत्र में आज भी मवेशी सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं. ये मवेशी हादसों को आमंत्रित कर रहे है। बारिश के बाद मवेशी अक्सर मुख्य सड़कों पर बैठ जाते है, जिनकी चिंता न तिल्दा नेवरा नगर पालिका प्रशासन कर रहा है और न ही यातायात विभाग. अभी गांव गांव में यातायात विभाग द्वारा जन चौपाल लगाकर लोगो को यातायात के नियम और सावधानी बताया जा रहा अधिकारी जिन रास्तो से हो कर गांव जाते है उन रास्तो में भी मवेशी आराम से बैठे रहते है पर उन अधिकारियो ने भी उन पर ध्यान दिया जा रहा है लिहाजा इन पशुओं के कारण हर साल कई वाहन चालक हादसे का शिकार होते है। पशुओं के सड़कों पर बैठने के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मवेशियों को संरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन इस अभियान की वास्तविकता की पोल तिल्दा नेवरा नगर पालिका क्षेत्र की सड़कों पर बैठे मवेशी खोल रहे है।ठप पड़ता नजर आ रहा अभियान
बता दें कि प्रदेश में रोका-छेका अभियान कहीं धीमा तो कहीं ठप है। राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि की परंपरा रोका-छेका अभियान की शुरुआत की थी, शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी यह कदम अहम माना गया, पकड़े गए मवेशियों को कांजी हाउस और गोठानों में रखने के आदेश दिए गए है। लेकिन ज्यादातर जगहों पर तस्वीर इसके विपरीत नजर आ रही है।
क्या है रोका- छेका : रोका- छेका पुराने समय से ग्रामीण जिंदगी का अभिन्न हिस्सा रहा है। खरीफ फसल की बोवाई के बाद फसल की सुरक्षा के लिए पशुधन को गोशालाओं में रखने की प्रथा रही है, ताकि मवेश खेतों में न जा पाएं और फसल सुरक्षित रहे। मवेशियों को संरक्षित करना, फसलों को मवेशियों से बचाना और गोबर से कुदरती खाद बनाना ।
गांवों में ये होंगी गतिविधियां
ग्राम पंचायत सीमा में निर्मित गोठान में पकड़े गए मवेशी रखे जाएंगे। पंच, सरपंच, जनप्रतिनिधि, गा्रमीण और चरवाहे मिलकर गांव में रोका-छेका की व्यवस्था करेंगे। इसका मकसद कम्पोस्ट खाद का वितरण, गोठानों से जुड़े स्व-सहायता समूहों को लाभ पहुंचाना है। परन्तु तिल्दा ब्लॉक के अधिकांश गावों में प्रसाशनिक अधिकारियो की लापरवाही के चलते शासन की महत्तवकांक्षी योजना रोका- छेका दम तोड़ती नजर आ रही है
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