नई दिल्ली @cgpioneer.in
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने तथा विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग से संबंधित मुद्दों पर आज बातचीत की। टेलीफोन पर हुई बातचीत के दौरान राष्ट्रपति सोलिह ने कोरोना महामारी से निपटने में भारत के सहयोग तथा समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने बातचीत के दौरान मालदीव में भारत के समर्थन से चल रही विकास परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की और कोरोना महामारी के बावजूद इनके क्रियान्वयन की तेज गति पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मालदीव भारत की ‘पडोसी पहलेÓ की नीति तथा क्षेत्र में सभी की सुरक्षा एवं विकास संबंधी समुद्री सुरक्षा के विजन ‘सागर का मजबूत स्तंभ है। प्रधानमंत्री ने मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के संयुक्त राष्ट्र महासभा का अध्यक्ष चुने जाने पर श्री सोलिह को बधाई भी दी। बातचीत में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के तमाम पहलुओं तथा सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में चर्चा की।
डेनमार्क एवं रूस के साथ समझौतों को मंत्रिमंडल की मंजूरी- सरकार ने भारत एवं डेनमार्क के बीच स्वास्थ्य एवं औषधि के क्षेत्र में सहयोग के एक करार तथा भारत एवं रूस के बीच कोकिंग कोल के उपयोग को लेकर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये जाने को आज स्वीकृति दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ये निर्णय लिये। मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य और औषधि के क्षेत्र में सहयोग करने पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा डेनमार्क साम्राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन को अपनी मंजूरी दी। यह द्विपक्षीय करार संयुक्त पहलों और प्रौद्योगिकी के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा डेनमार्क साम्राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करेगा। यह समझौता ज्ञापन भारत और डेनमार्क के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाएगा। ?इससे दोनों देशों के लोगों के सार्वजनिक स्वास्थ्य की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। इसी प्रकार से इस्?पात मंत्रालय और रूस के ऊर्जा मंत्रालय के बीच कोकिंग कोल के संबंध में आपसी सहयोग के एक समझौता ज्ञापन को भी मंजूरी दी गयी। कोकिंग कोल का उपयोग इस्पात निर्माण में किया जाता है। इस करार से पूरे इस्पात क्षेत्र को इनपुट लागत कम होने का लाभ मिलेगा। इससे देश में इस्पात की लागत में कमी आयेगी और समानता तथा समावेशिता को बढ़ावा मिलेगा।
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