पार्षद ने कहा, मैंने खुद ही निगम को सूची सौंपी थी, 22 नाम शामिल थे
राजनांदगांव@thethinkmedia.com
मुख्यमंत्री स्वालंबन योजना के तहत कमला कॉलेज चौक में निर्मित 24 दुकानों के आबंटन में विवाद थमता नहीं दिख रहा है। यहां से हटाए गए 22 दुकानदार आबंटन को लेकर असंतोष जाहिर कर रहे हैं। इनमें से महज 14 हितग्राहियों को ही दुकानों का आबंटन मिला है। शेष दुकानें किन्हीं अन्य लोगों को आबंटित की गई है। इसे लेकर महापौर की ओर से बयान जारी कर आबंटन में पारदर्शिता बरतने का उल्लेख किया गया था लेकिन उनके बयान पर भाजपा और स्थानीय पार्षद खेमिन यादव ने विरोध दर्ज कराया है।
पार्षद यादव ने कहा कि निगम प्रशासन को 18 दुकानदारों की सूची सौंपी गई थी। किन्हीं कारणों से 4 दुकानदारों के नाम छूट गए थे। बाद में 22 नामों की सूची महापौर और आयुक्त को ज्ञापन के माध्यम से सौंप दी गई थी। उन्होंने कहा कि जो सूची पहले सौंपी गई थी उनमें से 14 ही दुकानों का आबंटन किया गया।
बाकी दुकानें जिन्हें आबंटित की गई है वो नाम कहां से आए उसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
कभी नहीं मांगी जानकारी
पार्षद ने कहा कि पारदर्शिता बरतने और पार्षद से हितग्राहियों की सूची मांगे जाने का महापौर का बयान गलत है। उन्होंने कहा कि निगम की ओर से कभी भी हितग्राहियों की सूची मांगी ही नहीं गई थी। अलबत्ता स्वयं ही उन्होंने दुकानदारों द्वारा तैयार किए गए नामों की सूची निगम को सौंपी थी। उन्होंने कहा कि इससे समझा जा सकता है कि दुकानों के आबंटन को लेकर कितनी पारदर्शिता बरती गई। महापौर के बयान में ही त्रुटि है।
लॉटरी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ
दुकानों के आबंटन के लिए पात्र हितग्राहियों को लॉटरी के माध्यम से दुकानों के आबंटन का प्रावधान है। आरोप है कि निगम ने शेष बच रही दुकानों के लिए इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया। नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु पहले ही यह आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि दुकानों के आबंटन में लाखों का खेल हुआ है और इसके लिए 5 से 7 लाख रुपए की मांग की जा रही है। उनके इस बयान ने स्थानीय दुकानदारों का गुस्सा और बढ़ा दिया है। अभी जिला चयन समिति की ओर से सूची के अनुमोदन की जानकारी नहीं है।
तेज होगा विरोध
दुकानों के आबंटन के इस मामले भाजपा दुकानदारों के साथ है। नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु, जिला भाजयुमो अध्यक्ष मोनू बहादुर सिंह, पार्षद सुश्री खेमिन यादव आबंटन को लेकर मोर्चा खोले हुए हैं। स्थानीय दुकानदारों ने पात्रों को आबंटन न मिलने की सूरत में चक्काजाम और अनिश्चिकालिन प्रदर्शन की बात कही है। दुकानदारों का कहना है कि जिन्हें उनकी जगहों से हटाया गया था निगम उन सभी को दुकानें आबंटित करे। वहीं महापौर इससे किनारा कर रहीं हैं। बीते दिनों उन्होंने अपना बयान जारी कर अपनी मंशा साफ कर दी है। दो पक्षों के टकराव में यह विवाद बढ़ता दिख रहा है।
पार्षद फडऩवीस भी विरोध में
इस पूरे मामले में महापौर को अपने ही पक्ष के पार्षद के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है। बाजार विभाग की चेयरमेन और पार्षद सुनीता फडऩवीस दुकानों के आबंटन को लेकर पहले ही नाराज़ हैं। उनका कहना है कि प्रावधान के तहत यह कार्य उनके विभाग का है लेकिन उन्हें इससे दूर रखा जा रहा है। राजस्व विभाग के चेयरमेन इन फाइलों में दस्तखत कर रहे हैं जो कि नियम विरुद्ध है। इस मामले को लेकर आयुक्त पहले ही फडऩवीस के खिलाफ हैं। उन्होंने बजट बैठक में ही इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान राजस्व विभाग की कार्रवाई को सही ठहराया था। उस दौरान फडऩवीस ने राजपत्र की मांग भी की थी। एक बार फिर उन्होंने दुकानों के आबंटन को लेकर मोर्चा खोल दिया है।
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