अब दोषियों पर उचित कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन की चेतावनी
कांकेर@thethinkmedia.com
जंगल को बचाने जहां खाखी वर्दी की मुख्य भूमिका रहती है वहीं दूसरी ओर खाखी धारी ही जंगल को बर्बाद करने में लगे है पिछले कुछ वर्षों से यह खेल चल रहा वहीं यह पहला मामला नहीं है कि खाखी वर्दीधारी लोहत्तर में भी ईमारती लकड़ी की सप्लाई में अपनी भूमिका निभा चुके है जिसको सिर्फ लाइन अटैच कर दिया गया है। दुर्गुकोंदल वनपरिक्षेत्र वन व वन्य प्राणियों से भरा है किंतु कुछ ऐसे लोग जो अपने पद का दुरूपयोग कर क्राईम करने वालों को रोकने के बजाये खुद ही क्राईम करने में लगे हुए है। वहीं दुर्गुकोंदल क्षेत्र इन दिनों इसलिये भी चर्चा में हैं क्योंकि यहाँ के आदिवासी समाज अब गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए एक जुट हो गए है। दुर्गुकोंदल थाने के भीतर भारी मात्रा में छुपा कर रखे ईमारती सागौन के निर्मित व अर्ध निर्मित फर्नीचर जिसमें एक नग सागौन का दीवान 6म6 0.165 घमी, सोफा 3+1+1 अर्धनिर्मित, डायनिग टेबल का टॉप 1 नग 0.051 घमी, सागौन चिरान 18 नग बरामद किया गया है जिसे भी पकड़वाने में भी क्षेत्र के आदिवासी युवाओं व समाज के लोगों की मुख्य भूमिका रही है वन विभाग को भी यह मानना पड़ा कि यदि आदिवासी समाज इस कार्यवाही में दिलचस्पी नही दिखाते तो इतनी बड़ी कार्यवाही शायद ही हो पाती जिन जगहों में सागौन के अर्धनिर्मित व निर्मित फर्नीचर मिले हैं उसे भी खोज बीन करने में इनकी मुख्य भूमिका रही है फिलहाल हाईप्रोफाइल तरीके से क्षेत्र की ईमारती लकडिय़ों को बिना किसी दस्तावेज अवैध तरीके से दुर्गुकोंदल थाना प्रभारी के संरक्षण में रखा गया था इसकी और तह तक जाने की आवश्यकता है अब देखना यह है कि यह मामला कहा तक जाता है क्योंकि दोषियों पर यदि उचित कार्यवाही नहीं होती है तो समाज द्वारा उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी गई है। इस सबन्ध दुर्गुकोंदल निवासी कुछ लोगों से जब चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि थाने में कुछ कार्य से यदि जाना होता था तो गेट पर तैनात पुलिस के द्वारा पहले थाना प्रभारी से अनुमति ली जाती थी कि किसी को अंदर आने दे या नहीं पत्रकारों को भी अंदर जाने नहीं दिया जाता था या थाना प्रभारी नहीं है यह कहकर थाना परिसर में घुसने से मना कर दिया जाता था जिससे यह साबित ही जाता है कि यह खेल थाना परिसर में कितने दिनों से व कैसे चल रहा था और इसमें संलिप्त लोग कैसे वर्दी को दागदार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे यदि विभागीय जांच सही तरीके से की जाये तो और भी नये खुलासे हो सकते है।
सूत्रों की माने तो यह खुलासा थाना प्रभारी द्वारा काम करवाने के बाद सही तरीके से मजदूरी नही देने की वजह भी मानी जा रही है क्योंकि जिन कारीगरों से फर्नीचर का कार्य करवाया जाता था उनको भी वर्दी का रौप दिखाकर सही मजदूरी नहीं दिया जाता था जिसके कारण यह खुलासा होने की बात भी सामने आ रही है जिनके चलते यह बात कहीं न कहीं आदिवासी समाज के कानों तक पहुँची जिसके बाद समाज के लोगों ने मोर्चा संभाला और वन विभाग के बड़े अधिकारियों को भी वहां पहुँचना पड़ा जिसके बाद यह कार्यवाही हो पाई। वन विभाग के कुछ कर्मचारियों ने बताया कि जहां जहाँ सागौन के निर्मित फर्नीचर को छुपाया गया था वहां थाने में पदस्थ वर्दीधारी खोजबीन करने में भी अड़ंगा डाला जाता था जिसके बाद वन विभाग के उच्च अधिकारियों के दबिश देने व कमान सँभालने के बाद छुपाये गये स्थानों तक पहुँच पाये। फिलहाल यह मामला विभागीय जांच के खींचतान में है आगे दोषियों पर गाज गिरेगी या उन्हें बचाया जायेगा। इसका इंतजार किया जा रहा है।
इस पूरे मामले में दुर्गुकोंदल वन परिक्षेत्र अधिकारी देवलाल दुग्गा से जब पूछा गया कि लोगों में यह चर्चा है कि वन विभाग भी इसमें संलिप्त है तो उन्होंने कहा कि इसके पहले भी वन विभाग द्वारा लोहत्तर वनोपज जांच नाके में एक बड़ी कार्यवाही की गई थी साथ ही नाके में वन विभाग की मुस्तैदी के कारण ही दुर्गुकोंदल थाने से ईमारती लकड़ी नहीं निकल पाई है और आगे भी इस तरह की कार्यवाही जारी रहेगी। और रही बात वन विभाग की संलिप्तता की तो यह सरा सर गलत है वन विभाग के सभी कर्मचारी अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे है जिसके चलते ही यह बड़ी कार्यवाही हो पाई है।
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