July 1, 2025

मेडिकल कालेज में सुरक्षाकर्मियों का रूतबा , 70 वर्षीय बुजुर्ग को फटकारते हुए कहा ‘दोबारा इधर दिखना मत’, दुव्र्यवहार व अस्पताली असुविधा से जूझ रहे मरीज

बीमारी से ज्यादा मेडिकल कालेज की अव्यवस्था से परेशान हैं मरीज, दूर दूर तक मरीज के परिजनों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं

अजय सोनी/राजनांदगांव

जिला चिकित्सालय से अलग कर के मेडिकल कालेज को पेण्ड्री स्थानांतरित कर दिया गया है लेकिन बहुत अधिक असुविधाओं की वजह से अब वहां जाने वाले मरीज बीमारी से ज्यादा मेडिकल कालेज की अव्यवस्था से हलाकान हैं। मेडिकल कालेज पहुँच मार्ग से शुरू होबने वाली यह परेशानियां मरीज के इलाज से लेकर डिस्चार्ज तक उनका पीछा नहीं छोड़तीं और प्रशासन के पास इन मरीजों को राहत पहुंचाने का कोई जमीनी प्लान नहीं है। बहुतेरे ऐसे लोग भी हैं जो मरीजों से उनके आपदा के वक़्त में भी अवसर तलाश रहे हैं और दूर दराज से आने वालों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। मेडिकल कालेज पहुँचने से पहले ही जनता की मुसीबतें शुरू हो जाती हैं। मुख्य मार्ग जीई रोड पर अस्पताल मुडऩे के लिए किसी तरह का मकोड़ नहीं है इसलिए आगे जाकर मुड़कर वापस आना आम जनता की मजबूरी है। मुडऩे के बाद दो किलो मीटर का सफर करने के बाद मेडिकल कालेज के दो प्रमुख गेट का सामना मरीजों को करना पड़ता है जिसमे से एक गेट ओपीडी का है और दुसरा गेट मरीजों को भर्ती करने का लेकिन इनमे किसी भी तरह को बोर्ड ना होने की वजह से मरीज व् उनके परिजनों को इधर से उधर भटकना पड़ता है और उस पर वहां तैनात गार्डों का दुव्र्यवहार अलग।
अस्पताल में दूर दूर तक कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे वहां के मौजूद लोगों को भोजन उपलब्ध हो सके हांलाकि मुख्य मार्ग पर व् आसपास कुछ ठेले खोमचे हैं लेकिन वहां भी सिर्फ समोसा भजिया और बिस्किट बस उपलब्ध रहता है।मरीजों को देने हेतु फल व् बिस्किट के लिए तो दूर जाना ही पड़ता है लेकिन सबसे अहम मसला यह है कि मरीजों को बाहर से दी जाने वाली दवाइयों को खरीदने के लिए भी मरीज के परिजनों को तकऱीबन ढाई सौ मीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। बहुत से मरीजों के संग बुजुर्ग परिजन होने की वजह से उन्हें आसपास के युवाओं से दवाइयां लाने के लिए मिन्नतें करते बहुत आसानी से देखा जा सकता है।
आम जनता पर नियम, डाक्टरों को छूट
मेडिकल कालेज में जैसे सभी नियम आम जनता के लिए बनाये गए हैं ऐसा लगता है। गेट पर खड़े सुरक्षाकर्मी किसी भी व्यक्ति को बिना मास्क के भीतर नहीं जाने देते और यह सही भी है लेकिन यही नियम वहां के डाक्टरों पर लागू नहीं होता। पायनियर की टीम के सामने ही कुछ डाक्टरों ने बिना मास्क के सीधे अस्पताल के भीतर प्रवेश किया लेकिन उन्हें बोलने समझाने वाला कोई नहीं था।
सुरक्षाकर्मियों के दुव्र्यवहार से मरीज हलाकान, बदतमीजी की सीमाएं पार
जिला चिकित्सालय को शिफ्ट कर मेडिकल कालेज पेण्ड्री किये जाने से मरीजों की समस्याएं बढ़ गई हैं उस पर वहां कार्यरत सुरक्षाकर्मियों के दुव्र्यवहार से आम जनता ज्यादा परेशान है। बुधवार की सुबह पायनियर की टीम जब अस्पताल मुआयना करने पहुंची तो गेट पर ही कुछ पुरुष सुरक्षाकर्मी व् एक महिला सुरक्षाकर्मी एक 70 वर्षीय बुजुर्ग को जमकर लताड़ रहे थे। ज्ञात हो की मेडिकल कालेज के भीतर किसी भी प्रकार का गुटखा पाउच ले जाना मना है जिसकी जानकारी शायद बालोद निवासी 70 वर्षीय रामरतन को नेहीं थी। ओपीडी गेट पर एक सुरक्षाकर्मी उसे जिस तरह से लताड़ रहा था उसे जस का तस हम यहाँ पर लिख रहे हैं जिसे पढ़कर शायद आप को भी बुरा लगे। सुरक्षाकर्मी ने रौब से कहा – भग यहाँ से और दोबारा दिखना मत इस गेट में नहीं तो ठीक नहीं होगा। इसके साथ ही महिला सुरक्षाकर्मी भी ईसाई तरह के लहजे में अपने साथी का साथ दे रही थी। पायनियर की टीम के सामने आकर विरोध के बाद उन्होंने अपना व्यवहार बदला और दोबारा तमीज से पेश आने की बात कही जबकि शुरू में वो टीम को कैमरा बंद करने की बात करते रहे।

ग्राउंड जीरो से जानिये मरीजों की परेशानियों के स्तर को

पायनियर की टीम ने अपने मुआयने के दौरान पहले दिन मेडिकल कालेज पेण्ड्री के सिर्फ बाहरी असुविधाओं को जानने का प्रयास किया और दुखद यह रहा कि हमें अस्पताल के भीतर जाने से पहले ही मरीजों की उन तमाम परेशानियों से रूबरू होना पड़ा जिसे पढ़कर आपको पता चलेगा कि वहां पर मरीज व् उनके परिजन तालिबानी आदेश की वजह से किस कदर परेशान हैं।

केस -1

बालोद जिले से आई मरीज 72 वर्षीय रजई बाई अपने पुत्र के साथ इलाज के लिए मेडिकल कालेज पहुंची थीं। इनके पैर में घाव का इलाज किया जाना था लेकिन तमाम टेस्ट के बाद भी एचआईवी का एक टेस्ट मेडिकल कालेज में नहीं हो पाया और इसके लिए इन्हें वापस बसंतपुर अस्पताल भेजा गया। जांघ में घाव की वजह से बड़ी मुश्किल से ये बुजुर्ग महिला मेडिकल कालेज पहुंची थी लेकिन इधर उधर के फेर में इन्होने तय किया कि अब कुछ व्यवस्था कर के निजी जगह पर ही अपना इलाज करवाएगी।

केस -2

महेश कुमार साहू की भाई बहू को बेटी हुई है जिसे डिस्चार्ज करने वो अपने भाई के साथ पहुंचे थे लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने एक से ज्यादा लोगों को जाने से मना कर दिया इसलिए महेश बाहर ही बैठकर इन्तजार कर रहे थे। महेश ने बताया कि बहू और बच्चे को सम्हाल कर लाने के अलावा सामान भी पकडऩा था लेकिन अब दोबारा सामान के लिए जाना पड़ेगा। प्रसूता महिला को भी महेश के भाई ने वार्ड से बाहर तक पैदल ही लाया।

केस -3

ग्राम करेला से अपना इलाज करवाने आई 68 वर्षीय अनुसुइया बाई के पेट में दर्द है जिसका इलाज करवाने वो आई हैं मेडिकल कालेज लेकिन बुजुर्ग होने की वजह से वो ओपीडी गेट ना जा कर धोखे से मरीज भर्ती करने वाले गेट में पहुँच गईं लेकिन जब उनको वापस ओपीडी गेट भेजा गया तो अनुसुइया बेचारी चलने के लायक ही नहीं थी जब कुछ देर वो आराम करने बैठी तब जाकर धीरे धीरे 200 मीटर की दुरी तय करके गेट तक पहुंचीं। इस दौरान उन्हें ना तो कोई स्ट्रेचर दिया गया और ना ही कोई व्हील चेयर उन्हें उपलब्ध कराया गया।

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