July 1, 2025

सोसायटी में यूरिया नहीं मिल रहा, 40 हजार बोरी की जरुरत और पड़ोसी जिलों से मिली महज 8 हजार बोरियां

किसानों के लिए खाद-बारिश बना बड़ा संकट, समय पर दोनों न मिले तो सूखा तय, लायसेंस, स्टॉक, बिल और स्रोत केंद्र की जांच नहीं

राजनांदगांव@thethinkmedia.com

रासायनिक उर्वरकों की कमी का फायदा उठाया जा रहा है। जिले भर में खाद की कालाबाजारी और अधिक मूल्य में बेचने के मामले सामने आ रहे हैं। इनमें से कुछ मामलों में तो प्रशासनिक कार्रवाई भी की गई है लेकिन ये भी चुनिंदा मामले ही हैं। जिले के किसानों को अब भी 40 हजार बोरी यूरिया की जरुरत है। इस मांग को पूरा करना मुश्किल हो रहा है। केंद्रीय सहकारी बैंक ने यूरिया की मांग मार्कफेड से की है लेकिन अब तक पड़ोसी जिलों से मदद मिलने पर महज 8 हजार बोरी यूरिया ही उपलब्ध हो सका है। ये कमी कब दूर हो पाएगी इसे लेकर किसी के पास कोई जवाब नहीं है।
खाद और बारिश की कमी किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है। मौजूदा हालात में जिले के कई हिस्सों से सूखा घोषित करने की मांग शुरु हो गई है। मॉनसून आते ही शुरु हुई खेती के बाद से खाद की किल्लत बनी हुई है। इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए गए और प्रदर्शन भी हुए। प्रदेश सरकार ने केंद्र को दोषी ठहराया तो वहीं केंद्र की ओर से भाजपा के प्रतिनिधियों ने प्रदेश सरकार को ही नाकामयाब बताया। इन सब के बीच बारिश और खाद की कमी के चलते सूखा के आसार नजऱ आ रहे हैं।
इन दिनों रासायनिक उर्वरकों खासकर यूरिया की सोसायटियों में जबर्दस्त किल्लत बनी हुई है। ऐसी स्थिति में खुले बाजारों में यूरिया खाद 600 से 800 रुपये तक बिक रही है। जिला सहकारी बैंक के आला अधिकारियों के अनुसार पूरे जिले में दो हजार टन यूरिया की डिमांड मार्कफेड को भेजा गया है। लेकिन शनिवार को मात्र 400 टन यूरिया पड़ोसी जिलों से भेजा गया है। ये मंगलवार तक समितियों में पहुंच सकता है।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे जिले के लिए जहाँ चालीस हजार बोरी यूरिया की मांग की गई है और बड़ी मुश्किल से मात्र आठ हजार बोरी यूरिया की आपूर्ति की जा सकी है। जबकि खुले बाजार में आसानी से भरपूर मात्रा में यूरिया खाद सरकारी रेट से तिगुने दाम पर मिल रहा है। इस तरह यूरिया की मनमानी कीमतों में खुलेआम बिक्री के बावजूद कृषि विभाग और जिम्मेदार महकमे के अधिकारियों की खाद बिक्री केन्द्रों की जांच में ढिलाई किसानों के लिए भारी पड़ रहा है।
तमाम ग्रामीण इलाकों में इस तरह का खेल महीने भर से चल रहा है। अलबत्ता किसानों की शिकायत पर शनिवार को पटेवा में नायब तहसीलदार ने दो दुकानों से तकरीबन 600 बोरी यूरिया जप्त कर गोदाम सील किया है। इससे पहले 26 अगस्त को डोंगरगढ़ क्षेत्र में भी ऐसी ही प्रशासनिक कार्रवाई हुई जिसमें दो दुकानों और गोदाम को सील करने की कार्रवाई की गई। यहां किसानों को दोगुने दाम में रासायनिक उर्वरक बेचे जा रहे थे। छुरिया और गैंदाटोला इलाके में भी ऐसे ही मामलों पर कार्रवाई की गई है।

खेप डंप होने की आशंका

ग्रामीण क्षेत्र के खेती किसानी से जुड़े सूत्रों की माने तो पटेवा में खाद विक्रेताओं के यहाँ गुप्त रूप से गोदामों में अभी भी भारी मात्रा में यूरिया खाद डंप बताया जा रहा है। सोसायटियों में किल्लत को देखते हुए मनमाने दामों में बेचने के फिराक में छुपाकर रखे गोदामों की जांच से भारी मात्रा में यूरिया मिलने का अंदेशा है। खबरों के अनुसार अब तक घुमका, पटेवा, छुरिया, गैंदाटोला, अंबागढ़ चौकी, खैरागढ़, डोंगरगांव के कृषि केन्द्रों और खाद विक्रेताओं के यहाँ जांच और कार्रवाई के नाम पर सम्बंधित महकमे पर केवल औपचारिकता निभाने का आरोप लगाया जा रहा है।

बिना बिल हो रही बिक्री

कृषि केंद्रों और खाद विक्रेता बिना बिल के खाद बेच रहे हैं। इसके अलावा इन दुकानों में खरीदी बिक्री से लेकर स्टॉक पंजी की जांच के साथ ही खाद विक्रेताओं को जारी लायसेंस और प्रस्तुत खाद खरीदी स्रोत केंद्र की जांच से अब तक कालाबाजारी के पूरे खेल का खुलासा निश्चित है।

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