दूरस्थ अंचल के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा, जिला प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर बना लापरवाह
नारायणपुर@thethinkmedia.com
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दस्तक देते ही स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए तमाम तरह की कवायद की जा रही है। इसमें कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद तिसरी लहर को संज्ञान में लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदुढ करने में प्रदेश सरकार कारगर कदम उठाने में लगी हुई है। लेकिन इसकी विपरीत कार्यप्रणाली नारायणपुर जिले में देखने को मिल रही है। इसमें जिला प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करने की बजाय इसको समेटने में लगा हुआ है। इससे पांच माह से बंद पड़ी मोटर बाईक एम्बुलेन्स सेवा का संचालन अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इससे दूरस्थ अंचल में निवासरत ग्रामीणों को बिमार पडने पर कई तरह की परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। मोटर बाईक एम्बुलेंन्स का संचालन शुरू करने में जिला प्रशासन कोई कारगर कदम उठाते नजर नहीं आ रहा है। इसका खामियाजा दूरस्थ अंचल में निवासरत ग्रामीणों को भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके बावजूद इस पर किसी की नजर नहीं जाना समझ से परे जान पडता है। जानकारी के अनुसार अबूझमाड़ सहित जिले के दूरस्थ अंचल के इलाकों में कई गांव ऐसे हैं जहां पक्की सड़क की सुविधा नहीं है। इन गांवो तक पहुंचने के लिए पुल-पुलिया सहित सड़क का अभाव होने के कारण ग्रामीणों को मिलों का सफर पंगडडी वाले रास्ते से तय कर मुख्य मार्ग तक पहुंचने के बाद किसी वाहन की मदद से अपने गंतव्य की ओर रवाना होना पडता है। इस तरह की समस्या सालों से निरतंर चलती आ रही है। इससे दूरस्थ अंचल में निवासरत किसी ग्रामीण के बिमार होने या फिर गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल ले जाने के लिए मिलों का सफर पैदल तय कर अस्पताल पहुंचना पड़ता है। इस दौरान मरिज या गर्भवती महिला को कावड में बोहकर परिजन पंगडडी वाले रास्ते से पैदल सफर तय कर मुख्य मार्ग तक पहुंचने के किसी वाहन की मदद से अस्पताल तक पहुंचते है। वही जिले के अधिकांश इलाको में महातारी एक्सप्रेस व संजीवनी 108 वाहन की सुविधा तो दी गई है । लेकिन अंदरुनी इलाको में पुल-पुलिया का अभाव कच्ची सड़क, जंगल झाड़ी व पत्थरीली सड़क होने से संजीवनी 108 एंव महातारी वाहन मरीजों के निवासस्थान तक नहीं पहुंच पाती है। ऐसी स्थिति में अंदरुनी इलाकों में निवासरत ग्रामीणों को अपने स्वास्थ्य का उपचार करने मिलों का सफर पैदल तय करना मजबूरी बन गया था। इससे अंदरुनी इलाकों के ग्रामीणों की इसी समस्या को देखते हुए साथी समाज सेवी ने पहल करते हुए जिले में गर्भवती महिला सहित बिमार मरिजों को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए धौड़ाई ,धनोरा, ओरछा, कुदंला, बडेजम्हरी, कोहकामेटा में 6 बाईक एम्बुलेंस सेवा की शुरुआत की थी। इस बाईक एम्बुलेंस की सेवा शुरू होने से दूरस्थ अंचल में निवासरत गर्भवती महिला सहित बिमार मरिजों को बाईक एम्बुलेन्स के माध्यम से इलाज के लिए नजदिक के अस्पताल लाकर भर्ती किया जाता था।
इससे अंदरुनी इलाकों में निवासरत गर्भवती महिलाओं सहित मरिजों को मोटर बाईक एम्बुलेन्स की मदद से काफी सहुलियत मिलना शुरू हो गया था। इस मोटर बाईक एम्बुलेन्स से गर्भवती महिला सहित बिमार मरिजों को समय पर ईलाज मुहैया हो जाता था। लेकिन अचानक अप्रैल माह से मोटर बाईक एम्बुलेंस सेवा का संचालन बंद कर दिया गया। इस मोटर बाईक एम्बुलेन्स के पहिए थमने के कारण ग्रामीणों को अस्पताल पहुचने के लिए कई तरह की परेशानियों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जिले के दूरस्थ अंचल के इलाकों में पिछले पांच माह से बाईक एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिलने से ग्रामीण अपने आप को ठगा सा महसूस करने लगे है। इसमें कुछ माह तक बाईक एम्बुलेन्स की सेवा देने के बाद अचानक इसका संचालन बंद कर देने से ग्रामीण पूरानी स्थिति पर निर्भर हो गए है। इससे मरिज या फिर गर्भवती माता को कावड़ में बोहकर मिलों का सफर पैदल करने के लिए ग्रामीणों को विवश होना पड़ रहा है। लेकिन जिला प्रशासन पांच माह बितने के बावजूद मोटर बाईक एम्बुलेन्स की सुविधा दूरस्थ अंचल के इलाकों में शुरू करने में कोई कारगर कदम उठाते नजर नहीं आ रहा है। इससे जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं विस्तार होने की बजाय समेटते नजर आने लगी है। इसके बावजूद इस पर किसी का ध्यान नहीं जाना समझ से परे जान पड़ता है।
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