July 1, 2025

राजीव भवन के निर्माण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, कोर्ट की हो रही अवमानना, प्रशासन ने साधी चुप्पी

जशपुरनगर

जिले के हृदयस्थल में स्थित राजस्व भूमि ३६७/१ क में निर्माणाधीन राजीव भवन विवादों में घिर गया है। दरअसल उक्त भूमि में काबिज झूमरलाल जैन ने निर्माण को अवैध बताते हुए उच्च न्यायालय हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल किया है और हाईकोर्ट ने मामले को संज्ञान में लेते हुए न सिर्फ सुनवाई की बल्कि आगामी सुनवाई और आदेश तक निर्माण कार्य को स्थगित करने का आदेश दिया है। लेकिन यहां आदेश की खुली अवहेलना की जा रही है। जानकारी के मुतााबिक निर्माण कार्य लगातार जारी है और शासन-प्रशासन की ओर से इसपर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

भूमि पर १९७२ से शासन के नियमानुसार कब्जा व पट्टाधारी झूमरलाल जैन के अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करने वाले अधिवक्ता अरविंद मिश्रा की ओर से विवादित भूमि के संबंध में पीटिशन दायर किया गया जिसपर जज गौतम भादुड़ी की ओर से निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का आदेश जारी किया गया है और कब्जाधारी व्यक्ति को वहां से अन्यत्र हटाने पर रोक लगाई गई है। यह आदेश बीते १८ जून को जारी किया गया है।

सिनेमा हॉल का संचालन
हाईकोर्ट में दायर रिट पीटिशन में कब्जाधारी झूमरलाल जैन के अधिवक्ता अरविंद सिंहा की ओर से बताया गया कि सन् १९७१-७२ में झूमरलाल जैन को ३६७/१ क में स्थित ५.९३ एकड़ भूमि से २० हजार वर्गफीट भूमि का पट्टा दिया गया था। तब से वहां मनोरंजन फिल्म के लिए सिनेमा हॉल की स्थापना कर संचालन किया जाता था। कुछ वक्त के बाद सिनेमा हॉल बंद हो गया लेकिन अन्य व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के संचालन के साथ झूमरलाल जैन का कब्जा उक्त भूमि पर था। इन दिनों नगर पालिका परिषद् की ओर भूमि से जबरन कब्जा हटाकर वहां अवैध निर्माण कराया जा रहा है।

प्रशासन की ओर मदद नहीं
उक्तविवादित भूमि को जशपुर न्यायाल से लेकर हाईकोर्ट तक ले जाने वाले अधिवक्ता सत्यप्रकाश तिवारी ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी कब्जा हटाने और निर्माण कार्य अनवरत जारी रखने की जानकारी जिला प्रशासन, एसडीएम और पुलिस प्रशासन को भी दी गई पर अबतक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा, उच्च न्यायालय की अवहेलना की जा रही है।

नहीं उठाया फोन
अधिवक्ता के द्वारा नगर पालिका को भी पार्टी बनाए जाने पर नगर पालिका सीएमओ से मामले में उनका पक्ष जानने फोन किया गया पर उन्होंने फोन का जवाब नहीं दिया।

Spread the love