October 14, 2025

अगस्त का पहला सप्ताह स्तनपान सप्ताह के रूप मनाया जा रहा, ३८ प्रतिशत ही करते हैं स्तनपान

जशपुरनगर

विश्व में प्रति वर्ष एक अगस्त से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। वही इस सप्ताह को जशपुर जिले के शास. उच्च. माध्यमिक विद्यालय दोकड़ा के बच्चों द्वारा चित्रकला के माध्यम से महिलाओं को स्तनपान कराने के फायदों को बताया जा रहा है इस पूरे सप्ताह स्कूल के हेल्थकेयर के बच्चों के द्वारा अलग अलग कर्यक्रम के साथ इस पूरे सप्ताह को उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। दोकड़ा स्कूल में पदस्त हेल्थकेयर की शिक्षिका करिश्मा खलखो ने कहा कि 1 अगस्त से 7 अगस्त तक स्तनपान दिवस मनाया जा रहा है और इस पूरे सप्ताह हमारे स्कूल के बच्चों के द्वारा महिलाओं व शिशु से जुड़े अलग अलग कार्यक्रम कर उत्साह मनाया जा रहा है ऐसे कार्यक्रमों से बच्चों में पढऩे के साथ अनेक कार्यो में इच्छा बढ़ती जाती है।

बता दें कि इस दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्व भर की महिलाओं को स्तनपान के महत्त्व के बारे में बताना है, क्योंकि महिलाएं बदलती जीवनशैली और कामकाज में इतनी व्यस्त होती हैं कि अपने बच्चों को स्तनपान करवाने का समय नहीं निकाल पाती है। नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध अमृत के सामान होता है, जो बच्चे के पूरे जीवन में कुपोषण और अतिसार जैसी बीमारियों से रक्षा करता है। विश्व स्तनपान दिवस या सप्ताह को बढ़ावा देकर विश्व भर में बच्चों की मृत्यु-दर में कमी लाई जा सकती है।

मां का दूध ही बच्चे के लिए सर्वोत्तम आहार होता है। जानकारी के मुताबिक दुनिया भर में जन्म के बाद छह महीने की आयु में केवल अड़तीस फीसदी शिशु ही स्तनपान कर पाते हैं। लेकिन जिन बच्चों को उनकी मां स्तनपान नहीं करा पाती हैं, इसका कारण माता के शरीर में पर्याप्त दूध का न आ पाना या माता में पौष्टिक आहार की कमी हो सकती है। जबकि अगर बच्चे के जन्म के बाद मां का दूध न पिलाया जाए तो बच्चों में पोषण की कमी हो जाती है और बच्चों में कुपोषण का खतरा बनता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक जन्म के बाद जल्दी (पहले घंटे के भीतर) स्तनपान कराने से बीस फीसदी नवजात शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है। अगर शिशुओं को पहले छह महीने तक पूर्णरूप से स्तनपान कराया जाता है तो बच्चे की डायरिया या दस्त से मरने की आशंका ग्यारह गुनी और निमोनिया से मरने की आशंका पंद्रह गुनी कम हो जाती है। इसलिए स्तनपान कराना जरूरी है। गौरतलब है कि इससे मां को भी फायदा पहुंचता है।

बच्चे को स्तनपान कराने से मां का प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव रुक जाता है, जिससे मां में खून की कमी होने का खतरा कम हो जाता है। इससे माता को मोटापे की शिकायत भी नहीं होती। यह बच्चों के जन्म में अंतर रखने में भी सहायक होता है। स्तनपान कराने से मां के स्तन और अंडाशय में कैंसर का खतरा कम हो जाता है। मां से मिलने वाले दूध में कोलेस्ट्रम होता है जो शिशु के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और उसे रोगों से बचाने के साथ उसकी अच्छे से वृद्धि करता है।

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