कोण्डागांव@thethinkmedia.com
जिले में पहाड़ी-पठारीय जलवायु होने से यहां कृषि का विकास पूर्ण रूप से नहीं हो सका है। यहां के कृषक सिंचाई संसाधनों की अनुपलब्धता के कारण केवल वर्षा ऋतु में ही पारम्परिक विधियों से कृषि कार्य किया करते हैं। जिससे लगातार जिले के कृषक उत्पादन में पिछड़ते जा रहे हैं। जिससे उनकी वार्षिक आय में वृद्धि न होने से लगातार कृषक कृषि से विमुख होकर अन्य क्षेत्रों एवं राज्यों में रोजगार की तलाश में प्रवसित हो रहे हैं। जिसे देखते हुए कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा के मार्गदर्शन में जिले के कोण्डागांव, माकड़ी, केशकाल विकासखण्डों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ‘बिहान’ समूह की महिलाओं को ग्रामों में जागरूकता प्रसार एवं वैज्ञानिक विधियों से कृषि को बढ़ावा देने हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
जिसके तहत् ग्रामों की ही बिहान स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को जिला मिशन समन्वयक विनय सिंह के मार्गदर्शन में सीएमएसए योजना (सामुदायिक संवहनीय कृषि प्रबंधन योजना) के अंतर्गत चयनित कर वैज्ञानिक विधि से कृषि कार्यों का प्रशिक्षण कृषि विभाग एवं उद्यानिकी विभाग द्वारा दिया गया। इस प्रशिक्षण में इन महिलाओं को खरीफ फसल हेतु वैज्ञानिक विधियों से फसल एवं बीज के चयन, नर्सरी विकास, नाडेप पिट के द्वारा जैविक खाद का निर्माण, बीज उपचार, अजोला पिट निर्माण, टूल बैंक निर्माण, जैविक कीटनाशकों का निर्माण के संबंध में जानकारी देकर कृषि सखी के रूप में गांवों में नियुक्त किया गया है। ये कृषि सखियां ग्राम में कृषि की आधुनिक वैज्ञानिक विधियों जैसे विधि, लाईन रोपा के संबंध में कृषकों को शिक्षा देने हेतु ग्रामों में कृषक पाठशाला का आयोजन कर रही हैं। अब तक तीनों विकासखण्डों को मिलाकर कुल 160 ग्रामों में 160 कृषि सखियां कार्य कर रही हैं। इनके द्वारा जिले में 465 कृषक पाठशालाओं के माध्यम से 18417 किचन गार्डन एवं 5601 कृषकों को विधि द्वारा रोपण की जानकारी प्रदान की गई है। इनमें से कोण्डागांव विकासखण्ड की 40 कृषि सखियों द्वारा अब तक 68 कृषक पाठशालाओं का आयोजन किया गया है। जिसके माध्यम से कोण्डागांव विकासखण्ड में 5500 किचन गार्डन विकसित करने के साथ 2600 किसानों को विधि द्वारा धान के रोपण की जानकारी दी गई है। इसी प्रकार केशकाल विकासखण्ड में 30 कृषि सखियों द्वारा 317 कृषक पाठशालाओं का आयोजन करते हुए 3317 किचन गार्डन निर्माण एवं 751 कृषकों को विधि द्वारा रोपण तथा माकड़ी विकासखण्ड की 90 कृषि सखियों द्वारा 9600 किचन गार्डन का निर्माण करते हुए 2250 कृषकों को विधि द्वारा रोपण की जानकारी प्रदान की गई है। इन सबके अतिरिक्त कृषि सखियों के रूप में कार्य करने से महिला समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है।
वैज्ञानिक विधियों के द्वारा जैविक विधियों का उपयोग करते हुए फसलों के रख-रखाव एवं उत्पादन से लगातार कृषकों की आय में जहां वृद्धि हो रही है वहीं सामुदायिक संवहनीय कृषि प्रबंधन योजना के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण करते हुए विकास के मार्ग को जैविक कृषि को प्रोत्साहन द्वारा परम्परागत कृषि को संवहनीय कृषि के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप संवहनीय कृषि में जैविक विधियों का उपयोग करने से कृषकों की कृषि लागत में कमी आ रही है साथ ही वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जैविक फसलों की बाजारों में बढ़ती मांग को देखते हुए कृषकों को दोगुना मुनाफा भी प्राप्त होगा।
इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ डीएन कश्यप ने बताया कि कृषकों को वैज्ञानिक विधि से संवहनीय कृषि से जोडऩे के लिये कृषि सखियों को तीन विकासखण्डों में नियुक्त किया गया है। इनके द्वारा किचन गार्डन निर्माण एवं खरीफ फसल की बोआई में कृषकों को सहयोग के साथ प्रशिक्षित करने हेतु सराहनीय कार्य किया है। भविष्य में सभी विकासखण्डों में कृषि सखियों को नियुक्त किया जायेगा। इस कार्य में बिहान समूह की महिलाओं के जुडऩे से महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होने के साथ कृषकों के उत्पादन में भी वृद्धि होगी।
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