भाटापारा@thethinkmedia.com
खत्म होता हरा चारा और महंगे होते पशु आहार से वर्षों से चली आ रही पशुपालन की परंपरा खतरे में आ चुकी है। सड़कों पर घूमते मवेशी इसका प्रमाण हैं। संकट, आगे विकराल रूप ना लेने पाए इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों ने हरा चारा की चार ऐसी प्रजातियां विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है, जिसकी एक बार की बोनी के बाद 3 से 4 साल तक हरा चारा हासिल की जा सकेगी।
पशु चारा की 4 प्रजातियां पशुपालकों के लिए वरदान बनने जा रहीं हैं। इनकी एक बार की बोनी के बाद लगातार तीन से चार साल तक हरा चारा की कटाई की जा सकती है। दिलचस्प यह कि इनके बीज भी मिलेंगे। यानी पहली बोनी के लिए लगने वाले बीज की खरीदी, के बाद के साल में दोबारा बीज की खरीदी नहीं करनी पड़ेगी। भरपूर पोषक तत्व वाली यह प्रजातियां जहां-जहां लगाई गई हैं, वहां उन्हें बेहतर परिणाम देने वाला माना जा रहा है। बता दें कि इनकी बोनी चालू माह में की जा सकती है।
यह चार इसलिए जोरदार
ज्वार की उन्नत किस्म बोकर ,ग्वार, लोबिया और संकर हाथी घास की खेती की सलाह, इसलिए दी जा रही है क्योंकि यह चारों प्रजातियां पहली बोनी के बाद लगातार तीन से चार साल तक फसल देने में सक्षम हैं। उत्पादन क्षमता प्रति प्रजाति, प्रतिवर्ष 200 क्विंटल तक पाई गई है। हैरत वाली बात यह है कि इन चारों प्रजातियों को अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती, याने हर तरह की बारिश में यह तैयार हो जातीं हैं।
शुष्क क्षेत्र के लिए भी
पशु पालकों की दिक्कत को ध्यान में रखते हुए हरा चारा की एक ऐसी प्रजाति तैयार करने में सफलता मिल गई है, जिसकी फसल अल्प वर्षा या शुष्क क्षेत्र में भी ली जा सकती है। बी एन हाइब्रिड घास और बी टी चुकंदर यह दो ऐसे प्रजातियां हैं जो प्रतिकूल मौसम में भी बेहतर परिणाम देती हैं। इसके अलावा कुछ और प्रजातियों पर भी अनुसंधान होने की जानकारी आ रही है। कहा जा सकता है कि पशु पालन करने वाले किसानों को हरा चारा के लिए अब संकट के दिन देखने नहीं होंगे।
समय है अनुकूल
हरा चारा की बोनी के लिए चालू माह से लेकर अगस्त के प्रथम सप्ताह का समय बेहद अनुकूल माना गया है। इसलिए बोनी का काम अब भी किया जा सकता है। इसमें ऐसी प्रजातियों की बोनी करनी होगी जिनमें पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा मिलती है। इसलिए चारा की फसल लेने वाले किसान और पशुपालक तैयारी कर सकते हैं।
पूरे साल हरा चारा की आसान उपलब्धता के लिए कई प्रजातियों के बीज उपलब्ध हैं। इनमें लोबिया, ग्वार, बोकर और संकर प्रजातियां मुख्य हैं। जिनकी कटाई 4 साल तक की जा सकती है। इनमें पोषक तत्वों की मात्रा अच्छी खासी है।
– डॉ. सी. के. पांडे, रिटायर्ड सहायक संचालक, पशु चिकित्सा सेवाएं,
बलौदा बाजार
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