नई दिल्ली @cgpioneer.in
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि वैश्विक चिंता से जुड़े मुद्दों के समाधान में बौद्ध मूल्यों और सिद्धांतों के उपयोग से विश्व को आरोग्यता प्रदान करने और इसे एक बेहतर स्थल बनाने में सहायता मिलेगी। श्री कोविंद ने यह विचार अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित वार्षिक आषाढ़ पूर्णिमा-धम्म चक्र दिवस के अवसर पर वीडियो कांफ्रेंस से किये गये सम्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं के सार से जुड़े रहना महत्वपूर्ण है और इसकी अलग-अलग व्याख्याओं और विविधताओं में उलझना नहीं चाहिए। इस संदर्भ में परिसंघ के उद्देश्य प्रशंसनीय हैं। उन्होंने मानवता की सेवा के लिए सभी बौद्ध परंपराओं और संगठनों को एक साझा मंच प्रदान करने के आईबीसी के प्रयास की भी सराहना की। श्री कोविंद ने कहा कि उनका मानना है कि बौद्ध धर्म का प्रभाव इसे औपचारिक रूप से ग्रहण करने वाले लगभग 55 करोड़ अनुयायियों से भी अधिक व्यापक है। अन्य धर्मों के लोग और यहाँ तक कि संशयवादी एवं नास्तिक भी बुद्ध की शिक्षाओं के प्रति आकर्षण का अनुभव करते हैं। बौद्ध धर्म का यह सार्वभौमिक और शाश्वत प्रभाव समय और स्थल पर मानव द्वारा सामना की जाने वाली मूलभूत समस्याओं के तार्किक, तर्कसंगत और सरल समाधानों के कारण है। दुख को समाप्त करने का बुद्ध का आश्वासन, सार्वभौमिक करुणा और अहिंसा पर उनका जोर, जीवन के सभी पहलुओं में नैतिकता और संयम को आगे बढ़ाने के उनके संदेश ने पिछले 2600 वर्षों में असंख्य लोगों को सारनाथ में उनके प्रथम उपदेश के पश्चात प्रेरणा दी है। राष्ट्रपति ने कहा कि जीवन के संदर्भ में बुद्ध के बेहतर रूप से प्रलेखित संदेश मानवता के लिए अमूल्य हैं। भगवान बुद्ध का अपने आलोचकों और विरोधियों के प्रति भी अत्यधिक विश्वास और सम्मान था। वे उनके अनुयायी बन जाएंगे। उन्होंने यह आध्यात्मिक शक्ति इसलिए प्राप्त की, क्योंकि वे सदैव सत्य के पालन के प्रति दृढ़ रहे। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव से जूझ रही दुनिया को पहले से कहीं अधिक करुणा, दया और निस्वार्थता के भाव के साथ उपचार की आवश्यकता है। बौद्ध धर्म द्वारा प्रचारित इन सार्वभौमिक मूल्यों को सभी को अपने विचारों और कार्यों में अपनाने की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि आज का विश्व बुद्ध की असीम करुणा से प्रेरित होकर मानव पीड़ा के सभी स्रोतों को दूर करने का संकल्प लेता है। इससे पहले श्री कोविंद ने राष्ट्रपति भवन के उपवन में बोधि वृक्ष का पौधा लगाया। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, संस्कृति राज्य मंत्री, अर्जुन राम मेघवाल और मीनाक्षी लेखी एवं अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव डॉ धम्मपिया शामिल थे।
भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलकर किया जा सकता है बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध कोरोना महामारी के इस संकटपूर्ण समय में और भी ज्यादा प्रासंगिक हैं और उनके बताए गए मार्ग पर चलकर बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना किया जा सकता है। श्री मोदी ने शनिवार को धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस और आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेते हुए कहा कि आज कोरोना महामारी के रूप में मानवता के सामने
वैसा ही संकट है जब भगवान बुद्ध हमारे लिए और भी प्रासंगिक हो जाते हैं। बुद्ध के मार्ग पर चलकर ही बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना हम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने यह करके दिखाया है। बुद्ध के सम्यक विचार को लेकर आज दुनिया के देश भी एक दूसरे का हाथ थाम रहे हैं, एक दूसरे की ताकत बन रहे हैं। इस दिशा में ‘इंटरनेशनल बुद्धिष्ट कनफेडरेशनÓ का ‘केयर विथ प्रेयर इनिशिएटिवÓ ये भी बहुत प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि धम्मपद कहता है ,”वैर से वैर शांत नहीं होता। बल्कि वैर अवैर से, बड़े मन से, प्रेम से शांत होता है। त्रासदी के समय में दुनिया ने प्रेम की, सौहार्द की इस शक्ति को महसूस किया है। बुद्ध का ये ज्ञान, मानवता का ये अनुभव जैसे जैसे समृद्ध होगा, विश्व सफलता और समृद्धि की नई ऊंचाइयों को छूएगा। प्रधानमंत्री ने देशवासियों को इस अवसर की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज के ही दिन भगवान बुद्ध ने बुद्धत्व की प्राप्ति के बाद अपना पहला ज्ञान संसार को दिया था। हमारे यहाँ कहा गया है। जहां ज्ञान है वहीं पूर्णता है, वहीं पूर्णिमा है। और जब उपदेश करने वाले स्वयं बुद्ध हों, तो स्वाभाविक है कि ये ज्ञान संसार के कल्याण का पर्याय बन जाता है। त्याग और तितिक्षा से तपे बुद्ध जब बोलते हैं तो केवल शब्द ही नहीं निकलते, बल्कि धम्मचक्र का प्रवर्तन होता है। तब उन्होंने केवल पाँच शिष्यों को उपदेश दिया था, लेकिन आज पूरी दुनिया में उन शब्दों के अनुयायी हैं, बुद्ध में आस्था रखने वाले लोग है। उन्होंने कहा कि सारनाथ में भगवान बुद्ध ने पूरे जीवन का, पूरे ज्ञान का सूत्र हमें बताया था। उन्होंने दु:ख के बारे में बताया, दु:ख के कारण के बारे में बताया, ये आश्वासन दिया कि दु:खों से जीता जा सकता है, और इस जीत का रास्ता भी बताया। भगवान बुद्ध ने हमें जीवन के लिए अष्टांग सूत्र, आठ मंत्र दिये।
More Stories
एनएमडीसी ने राष्ट्रीय पीआर महोत्सव 2023 में किया शानदार प्रदर्शन
एनएमडीसी ने राष्ट्रीय पीआर महोत्सव 2023 में किया शानदार प्रदर्शन
एयरफोर्स का MiG-21 विमान क्रैश