ऑफ सीजन में मांग का दबाव
भाटापारा@thethinkmedia.com
बहुपयोगी साबित हो चुका महुआ अब तेवर दिखाने लगा है। सैनिटाइजर और फूड प्रोडक्ट निर्माण इकाइयों की मांग के बाद यह ऑफ सीजन में भी 5100 से 5200 रुपए क्विंटल की नई कीमत पर मजबूती से जमा हुआ है। इसका फल भी 1800 से 1900 रुपए क्विंटल बोला जा रहा है।
महुआ : जिसकी पहचान अब तक मदिरा बनाने तक ही सीमित थी। अब एक ऐसे क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण मौजूदगी दिखा रहा है, जहां उसकी स्वीकार्यता दिन- प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस स्वीकार्यता के बाद यह ऑफ सीजन में भी जैसे तेवर दिखा रहा है, वह उसके उज्जवल भविष्य को भी रेखांकित कर रहा है। शायद यह भी पहली बार ही होगा, जब इसका बीज भी हाथों- हाथ बिक रहा है।
ऑफ सीजन में भी गर्म : महुआ के लिए जुलाई-अगस्त का माह ऑफ सीजन का माना जाता है। पहली बार यह, सीजन जैसा तेवर इसलिए दिखा रहा है क्योंकि सैनिटाइजर निर्माण के अलावा फूड प्रोडक्ट निर्माण इकाइयों की भी मांग का दबाव इस पर बना हुआ है। इसलिए यह 5100 से 5200 रुपए क्विंटल की ऊंचाई पर मजबूती से जमा हुआ है। आने वाले दिनों में मंदी की संभावना नहीं के बराबर मानी जा रही है।
पहली बार टोरा सीड : टोरा सीड याने महुआ का बीज। इसका उपयोग खाद्य तेल के रूप में होता रहा है। वनांचल में बढ़ते चलन के बाद यह भी पहली बार 18 सौ से 19 सौ रुपए क्विंटल की कीमत के साथ मांग में बराबर बना हुआ है। इसमें और तेजी के प्रबल आसार बने हुए हैं।
चरौटा स्थिर : कोरोला काल में चरोटा के निर्यात में लगा ताला, अब तक नहीं खोला जा सका है। घरेलू मांग नहीं के बराबर है, लिहाजा यह मंदी के दौर का सामना कर रहा है। स्टॉकिस्टों की मामूली लिवाली के बाद यह 2700 से 2800 रुपए क्विंटल के आसपास ठहरा हुआ है।
- महुआ और टोरा सीड में हल्की तेजी है, लेकिन चरौटा में निर्यात की मांग नहीं होने से मंदी के आसार है।
-सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज, रायपुर
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