July 1, 2025

कायाकल्प अवार्ड में प्रदेश में टॉप करने वाले राजा देवशरण जिला अस्पताल का हाल बेहाल

जशपुरनगर

कोविड-१९ कोरोना वायरस के संक्रमण और अलग-अलग बिमारियों के मरीजों के पहुंचने से जिला अस्पताल की संक्रमण के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील इलाकों में गिनती होती है। यहां बगैर सुरक्षा के जाना काफी जोखिम भरा होता है। यहां साफ-सफाई को लेकर विशेष सतर्कता बरतने की बात कही जाती है और बगैर मास्क के आने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

लेकिन कागजी वादों को इतर राजा देवशरण जिला चिकित्सालय का नजारा कुछ और ही है। यहां डिलीवरी वार्ड के सामने गीला-और सूखा बदबूदार कचरे का अंबार लगा हुआ है। हालात देखकर यह बयां हो रहा है कि यहां महीनों से सफाई नहीं हुई है। जिला अस्पताल के कैम्पस के भीतर प्रवेश करते ही स्वच्छता अभियान को चिढ़ाने वाले तस्वीर जिला और बाहर से आने वाले मरीजों और उनके परिजनों को दिखाई देती है। और इस बदहाली से अस्पताल की व्यवस्था पर सवालिया निशान
लगता है।

बदबूदार माहौल में प्रसव
जिला अस्पताल के मातृत्व वार्ड के सामने ही कचरा डंप करने का स्थान बनाया गया है। और यहां मेडिकल वेस्ट के साथ ही मरीजों को खाना दिए जाने वाला डिस्पोजल प्लेट को बचा हुआ खाना के साथ हजारों की संख्या में फेंका गया है। डिस्पोजल और खाना के सड़ांध से निकलने वाली बदबू से वार्ड में भर्ती मरीजों के साथ उनके परिजन भी परेशान हैं।
कोई बेहतर विकल्प नहीं होने की वजह से गरीब तबके के मरीज जिला अस्पताल के इसी बदबूदार वार्ड में पहुंचकर इलाज कराने को मजबूर हैं।

वेस्ट से संक्रमण का खतरा
मेडिकल वेस्ट संक्रमण से भरा होता है। विभिन्न प्रकार के मरीजों के इलाज के बाद निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों को मेडिकल वेस्ट कहा जाता है। इसलिए इसमें संक्रमित कीटाणुओं और वायरस के होने का खतरा भी अधिक होता है। वहीं कोरोना काल के दौरान मेडिकल वेस्ट में संक्रमण का दर कई गुना बढ़ जाता है। जिला अस्पताल प्रबंधन स्वच्छता को लेकर किस हद तक जागरूक और सजग है इसकी तस्वीर डिलीवरी वार्ड के सामने दिखाई दे रही है।

स्वच्छता अवार्ड का माखौल
स्वच्छता के क्षेत्र में राजा देवशरण अस्पताल के साथ ही जिले को देश और प्रदेश के द्वारा सम्मानित और पुरस्कृत किया जा चुका है। जिला अस्पताल को सरकार की कायाकल्प पुरस्कार योजना के तहत पुरस्कृत भी किया जा चुका है। लेकिन पुरस्कार पाकर बाहर निकलने के बाद उस सम्मान का भी अब माखौल उड़ाया जा रहा है।

नहीं मिलता जवाब
स्वच्छता की बदहाली के संबंध में बातचीत करने जिला अस्पताल की अधीक्षक डॉ. एफ खाखा से संपर्क करने की कोशिश की गई पर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। वे जवाब देने से हमेशा ही दूर भागती रही हैं।

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