July 1, 2025

जब तक न्याय नहीं मिलेगा जारी रहेगा सिलगेर आंदोलन : मूल आदिवासी बचाव मंच

जगदलपुर@thethinkmedia.com

सिलगेर आंदोलन से जुड़े ग्रामीण रविवार को जगदलपुर पहुंचे और पत्रकार भवन में पत्रकारों के सामने अपनी बात रखी। इस दौरान सिलगेर आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे मूल आदिवासी बचाव मंच से जुड़े ग्रामीण युवाओं ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस तरह से यह बात सामने आ रही है कि सिलगेर का आंदोलन समाप्त हो गया वह पूरी तरह गलत है।
आज भी सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण सिलगेर में ही धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती। दरअसल 11 मई की देर रात सिलगेर के पास सुरक्षाबल के कैम्प स्थापित किये गए जिसकी जानकारी ग्रामीणों को नहीं थी। ग्रामीणों के अनुसार चार दिनों तक उनके द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से विरोध किया गया पर उनके साथ मरपीट की गई तब ग्रामीण कुछ उग्र हुए तो उनपर गोली चला दी गई जिसमें तीन ग्रामीण मारे गए। इस भगदड़ में आगे चलकर एक गर्भवती महिला की भी मौत हो गई। हालांकि लगभग एक महीने चले इस आंदोलन की चर्चा जब पूरे देश मे हुई तो सरकार ने इस मामले पर बस्तर सांसद दीपक बैज के नेतृत्व में स्थानीय विधायकों के एक दल को वार्ता के लिए भेजा। दो चरणों मे वार्ता भी हुई जिसे दीपक बैज ने सफल वार्ता कहते हुए ग्रामीणों की मांग को सरकार तक पहुंचाने की बात भी कही। कुछ दिनों बाद इसी मामले पर मुख्यमंत्री ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ग्रामीणों के दल से बातचीत भी हुई और वहां भी इन ग्रामीणों ने अपनी मांग रखी पर आज तक इस मामले में कोई पहल नहीं की गई है। सिलगेर से जगदलपुर आकर पत्रकारों से चर्चा करने के पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि जंगल के अंदर आंदोलन कर रहे हैं तो कोई देख नहीं रहा और यही वजह है कि अब वे शहर आकर अपनी बात रख रहे हैं, साथ ही बहुत जल्द उनका दल रायपुर जाकर मुख्यमंत्री से भी मुलाकात करेगा। सिलगेर आंदोलन से जुड़े एक युवा ग्रामीण रघु कहते हैं कि उनके पूर्वज पढ़े लिखे नहीं थे और यही वजह है कि उन्होंने अत्याचार सह लिया पर अब युवा पढ़ालिखा है और आगे ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं इसलिए यह आंदोलन जरूरी है। रघु के अनुसार बस्तर के आदिवासी का मूल काम ही वनोपज एकत्रित करना है, जिसके लिए उन्हें जंगल जाना पड़ता है। तभी कई बार बेगुनाह आदिवासियों को बेवजह संदिग्ध मानकर जेल में डाल दिया जाता है। सरकार को यदि कैम्प लगाना था तो पहले ग्रामसभा करना था, और फिर नियमपूर्वक कैम्प की स्थापना करनी थी।

आपके शहर में कोई आकर आपके घरों में कब्जा कर लेगा तो आप चुप बैठ जाएंगे क्या : कवासी दुलाराम

सिलगेर आंदोलन से जुड़े एक शिक्षित युवा आदिवासी ने पत्रकारों से ही सवाल पूछ लिया कि आज हमारी जमीन पर बिना सहमति कैम्प लगा दिया गया और अब हम विरोध कर रहे हैं तो हमपर तरह तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह आंदोलन नक्सलियों द्वारा करवाया जा रहा है, पर आप ही बताइए कि यहां शहर में कोई आपके घर पर कब्जा जमा लेगा तो आप शांत बैठ जाएंगे क्या? वहीं गजेंद्र मंडावी ने सरकार के विकास के ढांचे पर आरोप लगाते हुए कहा सरकार विकास के नाम पर केवल कैम्पों का विकास कर रही है और जंगलों के विनाश कर रही है। सिलगेर मामले पर ग्रामीणों को न्यायालय की शरण क्यों नहीं गए के सवाल पर मूल आदिवासी बचाव मंच से जुड़ी सुनीता पोटम ने कहा इसके पहले भी हम पर कई बार अत्याचार हुए हैं और हमने न्यायालय की शरण भी ली है पर नतीजा कुछ नहीं निकला। 2012 में बीजापुर के ही सरकेगुड़ा कांड में ग्रामीणों ने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी और न्यायायिक जांच रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि मारे गए 17 लोग निर्दोष ग्रामीण थे नक्सली नहीं, बावजूद इसके आजतक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे ग्रामीणों का विश्वास कम हुआ है। हालांकि अभी भी उनके द्वारा इस मामले को न्यायलय तक ले जाने का फैसला किया गया है पर सिलगेर में भी आंदोलन यथावत जारी रहेगा।

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