October 14, 2025

नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी को मिली राष्ट्रीय पहचान

रायपुर @cgpioneer.in
छत्तीसगढ़ ने कृषि विकास के क्षेत्र में एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर अपना परचम फहराया है। छत्तीसगढ़ राज्य के कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को भारत सरकार द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप में पुरस्कृत किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के प्रभावी क्रियान्वयन तथा कृषकों में उद्यमिता विकास हेतु सम्मानित किया गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 93 वें स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि भवन नई दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को देश भर में संचालित 722 कृषि विज्ञान केन्द्रों में सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केन्द्र के रूप में कृषि विज्ञान राष्ट्रीय प्रोत्साहन पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे ने कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया की इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। कृषि मंत्री ने कहा है कि कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया की टीम ने अपने अथक परिश्रम एवं नवाचार से कोरिया जिले के किसानों को लाभकारी और उन्नत खेती की ओर प्रेरित किया है। सम्मान समारोह कार्यक्रम में केन्द्रीय पशुधन विकास मंत्री पुरूषोत्तम रूपाला, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी एवं शोभा करंदलाजे तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा, उपमहानिदेशक डॉ. ए.के. सिंह उपस्थित थे। कृषि उत्पादन आयुक्त छत्तीसगढ़ डॉ. एम.गीता, कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान जबलपुर के निदेशक डॉ. एस.आर.के. सिंह, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल एवं निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. एस.सी. मुखर्जी कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया को यह सम्मान छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी के प्रभावी क्रियान्वयन, कृषकों को संगठित कर किसान उत्पादक संगठन (कोरिया एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड) की स्थापना, जिले में 55 एकड़ में गौठान ग्रामों में चारागाह विकास कार्यक्रम, नवोन्मेषी कृषि, उद्यानिकी एवं संबंधित गतिविधियों में सिंदूर हर्बल पावडर, लेमनग्रास चायपत्ती, शकरकंद आटा, हल्दी, नीलगिरी एवं सौंफ की पत्तियों व टहनियों से सगंध तेल निष्कासन एवं गौठान ग्रामों में सौंफ की खेती का सफल प्रदर्शन, शहद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी कृषकों का समूह बनाकर मधुमक्खी पालन एवं दलहन तथा तिलहन फसलों की उन्नत प्रजातियों का कल्स्टर प्रदर्शन, छत्तीसगढ़ में किसानों की आय बढ़ाने हेतु विभिन्न फसलों के प्रसंस्करण एवं विपणन आदि नवोन्मेषी कार्यों के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रदान किया गया है। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन-कोरिया के सहयोग से कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा 55 एकड़ में गौठान ग्रामों में चारागाह विकास कार्यक्रम के अंतर्गत चारा फसलों की उन्नत किस्मों जैसे-नेपियर, बहुवर्षीय ज्वार का प्रादर्श प्रक्षेत्र स्थापित किया गया। गौठान ग्रामों में नगदी फसलों को बढ़ावा देने के लिए 35 एकड़ में हल्दी की उन्नत प्रजातियाँ जैसे-रोमा, बी.एस.आर-2 एवं रश्मि का प्रदर्शन प्रक्षेत्र स्थापित किया गया है। कृषकों की सामूहिक बाडिय़ों का चयन कर 75 एकड़ में ड्रिप पद्धति से फलदार मातृवाटिका तैयार कर अन्र्तवर्तीय खेती के रुप में सामूहिक बाडिय़ों में फसल विविधकरण के अंतर्गत 40-50 एकड़ में पड़त भूमि विकास के अंतर्गत लेमनग्रास, खस, पामारोजा, सिट्रोनेला एवं शकरकन्द इत्यादि का रोपण कर पड़त भूमि की फसल सघनता को 300 प्रतिशत तक आंका गया। केन्द्र द्वारा बाड़ी विकास कार्यक्रम में सब्जियों की उन्नत प्रजाति सह फलदार पौध रोपण का तकनीकी प्रदर्शन 200 बाडिय़ों में क्रियान्वित किया गया। घुरवा प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए आदिवासी कृषक समूह द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया एवं मनरेगा से 100 केचुआ टांका की स्थापना कर केचुआ खाद, वर्मीवाष एवं केचुआ का विक्रय किया गया। वैज्ञानिकों द्वारा गौठान ग्रामों में महिला समूह को गुणवत्ता युक्त केचुआ एवं खाद उत्पादन, केचुआ उत्पादन का प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन निरंतर प्रदान किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा कृषकों को संगठित कर किसान उत्पादक संगठन ”कोरिया एग्रोप्रोड्यूसरÓÓ नामक कम्पनी बनाई गई है, जो 22 कृषि आधारित उत्पादों का निर्माण, प्रसंस्करण एवं विपण कर रही है।

समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों को पंजीयन की आवश्यकता नहीं
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना की गाइडलाईन में हुए आंशिक संशोधन से राज्य के लाखों किसानों को राहत मिली है। इस योजना के तहत संयुक्त खातेदार किसानों को पंजीयन के लिए आवेदन पत्र के साथ सहमति सह-शपथ पत्र देने की बाध्यता को समाप्त कर, छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को कचहरी और नोटरी के चक्कर तथा करोड़ों रूपए के अनावश्यक व्यय भार से राहत दे दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पंजीयन के लिए संयुक्त खातेदार कृषकों को शपथ पत्र देने का प्रावधान इस योजना की गाइडलाईन में रखा गया था। शपथ पत्र बनवाने में किसानों को आ रही दिक्कत और अनावश्यक राशि खर्च होने का मामला जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आया तो उन्होंने कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे को योजना की गाइडलाईन में यथा संभव संशोधन कर किसानों को राहत देने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के परिपालन में कृषि विभाग मंत्रालय द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना की गाइडलाईन में आंशिक रूप से संशोधन कर किसानों को अब पंजीयन कराने के लिए शपथ पत्र देने की बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है। संयुक्त खातेदार किसानों को अब पंजीयन के लिए सिर्फ स्वघोषणा पत्र देना होगा। संयुक्त खातेदार किसानों का पंजीयन नंबरदार के नाम से होगा। गौरतलब है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की जारी गाईडलाइन में संयुक्त खातेदार कृषकों के पंजीयन के लिए आवेदन पत्र के साथ समस्त खाताधारकों की सहमति सह-शपथ पत्र तथा अन्य आवश्यक अभिलेख प्रस्तुत करने का प्रावधान रखा गया था, जिसे अब विलोपित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ शासन के कृषि मंत्रालय द्वारा इस संबंध में आज जारी संशोधित आदेश के तहत राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे किसानों को जिन्होंने खरीफ वर्ष 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के लिए पंजीयन कराया था, उन किसानों को योजनांतर्गत पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं है। खरीफ की प्रमुख फसल मक्का, कोदो-कुटकी, सोयाबीन, अरहर तथा गन्ना उत्पादक कृषकों को योजनांतर्गत पंजीयन कराना है। खरीफ वर्ष 2020-21 में जिस रकबे से किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया गया था, यदि वह उस रकबे में धान के बदले योजना में सम्मिलित अन्य फसल लगाता है, तो उसे योजनांतर्गत पंजीयन कराना होगा। किसान राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लाभ के लिए पोर्टल पर 30 सितंबर तक पंजीयन करा सकेंगे।

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