सरायपाली@thethinkmedia.com
प्रकृति की मार से इन दिनों अन्नदाता परेशान उनकी गुहार है कि अब तो बरसों मेघ मल्हार राहत मिले। रोपाई रुकी पड़ी है, परिवार का भरण पोषण कैसे होगा खेतों में मिट्टी सूख चुकी है, हे प्रभु अब निराश मत करना।
किसानी के लिए पर्याप्त वर्षा के अभाव में खेतों में दरार पडऩा प्रारंभ हो गया है धान फसल के पत्ते पीले होने शुरू हो गए हैं पानी के अभाव में ब्यासी काम अधर में लटकी है पानी समस्या के चलते किसानों की माथे में चिंता की लकीरें दिखने लगी है। कोकड़ी के किसान गोविंद प्रधान ने अपनी समस्या के संबंध में बताया कि खेतों का कंठ सूखने लगा है पानी जल्द नहीं मिला तो धान की फसल खेतों में प्यासे मर जाएंगे। उल्लेखनीय है कि क्षेत्र में किसानों के खेतों को तरबतर कर देने वाली कोई जल स्रोत नहीं है।
किसानों में मचने लगी हाहाकार
कोरोना कॉल का असर किसानों पर भी पड़ा है मजदूरों की तंगी के कारण किसानों ने इस वर्ष बुवाई पद्धति अधिक अपनाया है बोआई पद्धति वाले धान को अब ब्यासी की जरूरत है किसान चाहे किसी भी पद्धति से धान फसल उत्पादित करने का काम शुरू किए हैं उनमें केवल पानी के लिए हाहाकार मच गई है।
गर्मी और उमस ने बढ़ाई लोगों की बेचैनी
बीते लगभग 1 माह से मानसून दस्तक दे चुका है लेकिन आज भी तेज धूप तथा उमस भरी गर्मी से काफी परेशान हैं। हालांकि बीते सप्ताह कुछ घंटों के बारिश ने लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत जरूर मिली लेकिन इतनी पर्याप्त प्रतीत नहीं हो रही है भले ही बारिश का मौसम लग चुका है लेकिन मौसम के फेरबदल के चलते कभी बारिश तो कभी उमस भरी गर्मी या फिर कभी तेज धूप से लोगों के स्वास्थ्य में काफी विपरीत असर पड़ रहा है इसके चलते लोग हॉस्पिटल तथा मेडिकल दुकानों के चक्कर काट रहे हैं । इन दिनों मौसम के बदलाव के चलते तथा तेज धूप से बचते नजर आ रहे हैं।
More Stories
एस्सेल माइनिंग की दो कोयला खदानों को निष्पादित करने में भारत में इस वर्ष कोयले की कमी हो जाएगी
ओपी जिंदल विश्वविद्यालय में स्मार्ट इंडिया हैकथॉन-2023
युवाओं को दरकिनार करना लोकसभा चुनाव में भी पड़ सकता कांग्रेस पर भारी – अतुल मलिकराम (राजनीतिक रणनीतिकार)