कांकेर@thethinkmedia.com
केबीकेएस डिस्कवर टीम के रिसर्च टीम को जिले में दुर्लभ प्रजाति की काले और पीले रंग की छिपकली मिली है। स्थानीय भाषा में इसे कालकूत या ऐंहराज डोके कहा जाता है। आमतौर पर यह जीव पूर्वी तट पर पाया जाता है। जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यंत संवेदनशील इस जीव के व्यवहार को देखकर स्थानीय कोयतोर जनजाति के लोग मानसून के आने की भविष्यवाणी भी करते हैं। क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित कर इन जीव जंतुओं के रहवास का गुगल द्वारा लोकेशन टैग करने का कार्य कर रहे फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी से जुड़े प्रर्यावरणविद नारायण मरकाम ने बताया कि यह जीव पुर्वी घाट में आमतौर पर पाया जाता है। इसे तेंदुआ छिपकली या कालकूत भी कहा जाता है। इसके बारे में गांव वालों के बीच बहुत से किंवदंती भी प्रचलित है।
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