विरोधियों के स्वर भी पड़े ठंडे, मामले में सबने चुप्पी साधी
राजनांदगांव@thethinkmedia.com
करोड़ों के कॉलोनी प्रोजेक्ट को बचाने आधा दर्जन से ज्यादा परिवारों को जबरिया अपनी जगह से बेदखल कर दिया गया। इस मामले में विरोध करने वाले भी अब चुप हैं। मामला शहर के गंज चौक का है। यहां मिरानी बिल्डर्स द्वारा तैयार किया जा रहे सत्यम विहार कॉलोनी तक पहुंच मार्ग के लिए गरीबो को बेदखल कर दिया गया। आरोप हैं कि यहां झुग्गी झोपडिय़ां होने और सड़क के संकरा होने के चलते बिल्डर्स को प्रोजेक्ट में दिक्कतें आ रहीं थीं। यह पूरा मामला एक तरह से माफिया बिल्डर की ज्यादती का है। जबकि परिवारों के पास अपनी जमीन का पट्टा भी था और वे लंबे समय से संपत्तिकर का भी भुगतान कर रहे थे। बताया जाता है कि इस प्रोजेक्ट को लांच करते हुए बिल्डर्स ने कॉलोनी के लिए 60 फीट चौड़ी सड़क होने का दावा किया था। लेकिन यहां पहले से बसाहट थी और सड़क भी संकरी थी। इस हकिकत से इतर बिल्डर लोगों को धोखे में रखे हुए थे। जब यह बातें सामने आने लगीं तो गरीब परिवारों को यहां से बेदखल करने की योजना बनाई गई और इसे पूरा किया निगम प्रशासन ने। यहां बसे परिवारों को अचानक ही हटाने की तैयारी कर ली गई। आश्चर्य इस बात का कि शहर के भीतर की सड़कों की जहां समय पर मरम्मत नहीं हो पाती यहां बसाहट हटाने के तुरंत बाद अब इस रास्ते पर डामर चमचमा रही है। आशंका है कि अपने प्रोजेक्ट को बचाने की जद्दोजहद कर रहे बिल्डर्स ने अपनी परेशानी दूर करने निगम अधिकारियों की मदद ली। इसके सहारे ही अचानक गरीब परिवारों को हटा दिया गया।
बताया यह भी जाता है कि इस मामले को संभालने के लिए ही शहर के कुछ और भी इलाकों से अतिक्रमण हटाने की मुहिम चलाई गई। शहर में महज़ एक स्थान से अतिक्रमण हटाए जाने पर निगम अधिकारियों पर सीधे सवाल खड़े हो जाते। सुनियोजित तरीके से इस मामले को रफा-दफा करने एक पूरी योजना का खाका तैयार किया गया। बहरहाल, यहां से हटाए गए परिवारों को लखोली भेज दिया गया है और अब वे वहीं निवास कर रहे हैं। लेकिन यहां उनकी समस्याएं और बढ़ गई हैं। जहां उन्हें विस्थापित किया गया है वहां बिजली पानी की समस्या है।
विरोध करने वाले भी चुप!
एक बिल्डर के लिए झुग्गी झोपड़ी हटाए जाने को लेकर विरोध के स्वर भी उठे थे। कईयों ने इस मामले में शिकायत की लेकिन अचानक ही यह विरोध ठंडा पड़ गया जिसे लेकर हैरान होना स्वाभाविक है। इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार के वायदे याद दिलाते हुए प्रदर्शनकारियों ने विरोध दर्ज कराया था। आयुक्त को सौंपी गई शिकायत में उल्लेख था कि जहां कांग्रेस सरकार ने गरीबों को पट्टा देने का वायदा किया गया था दूसरी ओर अब उन्हें जबरिया बेदखल किया जा रहा था वो भी एक बिल्डर के करोड़ों के प्रोजेक्ट को बचाने के लिए। लेकिन यह विरोध कब दब गया इसकी भी खबर नहीं लगी।
लेन-देन की आशंका
बताया जाता है कि मिरार्नी बिल्डर्स ने अपने प्रोजेक्ट को बचाने एड़ी-चोटी का जोर लगाया। लग्ज़रियस घरों के सामने की झुग्गी की बसाहट और संकरी सड़क को रोड़ा बनता देख प्रशासन की मदद ली गई। आरोप लग रहे हैं कि इस पूरे मामले में काफी बड़ा लेनदेन भी किया गया है। इसमें कई अधिकारियों के नाम सामने आ रहे हैं। वहीं खबर है कि इस पूरे मामलों को लेकर पीडि़त परिवार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। दरअसल, यहां से हटाए गए लोगों का दावा है कि उनके पास जमीन का पट्टा है। ऐसे में उन्हें जबरिया अपनी जगह से बेदखल किया गया है।
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