मनोरा
कोरोना वायरस कोविड-१९ की महामारी के दौर ने देश-विदेश से लेकर प्रदेश, शहर और गांवों तक स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी। बड़े-बड़े अस्पतालों की व्यवस्थाएं भी बौनी पडऩे लगी। अस्पतालों की चौंका देने वाली हकीकतों से रूबरू होकर शासन-प्रशासन ने इसे दुरूस्त करने की ठानी और सरकार के अन्य योजनाओं की राशियों को भी स्वास्थ्य विभाग के लिए आरक्षित कर संबंधितों को आवंटित कर दिया। बावजूद इसके अब भी शासकीय अस्पतालों की हालत दयनीय है।
पायनियर के द्वारा मनोरा विकासखंड मुख्यालय में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया गया जहां हालात चौंकाने वाले मिले। सीएचसी का हाल बदहाल है। यहां एक साल से जनरेट खराब पड़ा है। वहीं मरीजों को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के लिए लगाई गई आरओ मशीन भी बीते ४५ दिनों से खराब पड़ी है। वहीं स्टाफ अपनी ड्यूटी भी मनमर्जी कर रहे हैं। यहां मरीजों का इलाज भगवान भरोसे चल रहा है।
मरीज दूर से ला रहें पानी
मनोरा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केन्द्र में लगभग 44 पंचायतों के लोग इलाज के लिए आते है और प्रति दिन 4 से 10 मरीज हॉस्पिटल में रहते हैं। और मौसम के हिसाब से पूरा हॉस्पिटल भर जाता है। लेकिन हॉस्पिटल की हालत को देखते हुए लोग जशपुर, अम्बिकापुर, सीतापुर, रांची जाने को मजबूर हैं। क्योंकि हॉस्पिटल में पीने के पानी की व्यवस्था नही है। मरीज को 60 मीटर दूरी तय कर पानी लाना पड़ता है। मरीज के साथ परिजन न रहें तो मरीज तड़कर रह जाएंगे।
वैक्सीन रूम घनघोर अंधेरा
मनोरा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र में जिस रूम में वैक्सीन का स्टोर रखा गया है उस रूम में लाइट की ही व्यवस्था की गई है। लाइट के चले जाने पर वैक्सीन रूम में अंधेरा छाया रहता है। हॉस्पिटल में जरूर इनवर्टर रखा गया लेकिन इनवर्टर के जरिए मशीन नही चल पाती है।
स्टाप की मनमर्जी ड्यूटी
मनोरा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र में 143 स्टाप हंै लेकिन सभी स्टाप मन चाहा ड्यटी करने आते हैं। उनका ना आने का समय निर्धारित और ना जाने का। कोई स्टाप 11 बजे पहुंच रहे हंै तो कोई स्टाप 12 बजे ड्यूटी में पहुंच रहे हैं। मरीजों को इलाज भगवान भरोसे चल रहा है।
डॉक्टर से परेशान ग्रामीण
मनोरा सामुदायिक उप स्वास्थ्य केंद्र में जब उपचार कराने के लिए पहुंचने वाले मरीज डॉक्टर और स्टाप से उचित व्यवहार नहीं मिल पाने से परेशान हैं।
एक साल से जनरेटर बन्द
सीएचसी मनोरा में बीते एक साल से जनरेटर बन्द पड़ा हुआ है। लाइट कट जाने के बाद इनवर्टर के जरिए हॉस्पिटल को रोशनी मिल रही है। इनवर्टर के जवाब देने पर हॉस्पिटल में मरीजों को अंधेरे में रहने की नौबत आ जाती है।
आरओ मशीन बहुत पहले लगा हुआ था और कुछ दिनों के बाद कंपनी बंद हो गई। बनाने वाले जशपुर में नहीं है। लाइट रहती है तो वैक्सीन रूम चालू रहता है। जनरेटर के लिए पत्र उच्च अधिकारियों को लिखा गया है।
रौशन बरियार, बीएमओ मनोरा
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