अंतागढ़@thethinkmedia.com
शासन के निदेर्शों के बावजूद अंतागढ़ नगर व क्षेत्र में रोका छेका अभियान धरातल पर नजर नहीं आ रहा है. पशुओं की सुरक्षा और सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए राज्य सरकार ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी। जिसके तहत मवेशियों को गौठानों में रखने की योजना है. शासन की महत्तवकांक्षी योजना का क्रियान्वयन सिर्फ दिखावे तक ही सीमित नजर आ रहा है. अंतागढ़ क्षेत्र में आज भी मवेशी सड़कों पर बैठे नजर आ रहे हैं. ये मवेशी हादसों को आमंत्रित कर रहे है. बारिश के बाद मवेशी अक्सर मुख्य सड़कों पर बैठ जाते है, जिनकी चिंता नगर प्रशासन कर रहा है और न ही यातायात विभाग. सड़कों पर मवेशियों का जमावड़ा लिहाजा इन पशुओं के कारण हर साल कई वाहन चालक हादसे का शिकार होते है।
पशुओं के सड़कों पर बैठने के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मवेशियों को संरक्षित रखने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रोका छेका अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन इस अभियान की वास्तविकता की पोल अंतागढ़ क्षेत्र की सड़कों पर बैठे मवेशी खोल रहे हैक्या कहते है कि भूपेश सरकार द्वारा प्रदेश भर में करोड़ो रुपए खर्च कर सभी ग्राम पंचायतों में गौठान निर्माण करा रही हैं। और रोका छेका कार्यक्रम चला रही लेकिन ये फेल होती नजऱ आ रही हैं। अंतागढ़ नगर की बात करें तो दिन रात सड़को में मवेशियों के जमावड़ा लगा रहता है। जब मवेशियों को सुरक्षित रखने के लिए करोड़ो रुपए खर्च कर गांव गांव में गौठान निर्माण करा रही है और मवेशी सड़को में घुम रहे हैं तो इस प्रकार की योजना किस काम की है। भूपेश सरकार की गौठान पूरी तरह फेल हैं। ठप पड़ता नजर आ रहा अभियान बता दें कि प्रदेश में रोका-छेका अभियान कहीं धीमा तो कहीं ठप है. राज्य सरकार ने फसलों की सुरक्षा और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए कृषि की परंपरा रोका-छेका अभियान की शुरुआत 19 जून 2020 को किया गया था। इस वर्ष भी 1 जुलाई को प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों के गौठान में रोका-छेका कार्यक्रम आयोजन किया गया था। शहरों की सड़कों पर घूम रहे मवेशियों से होने वाले हादसों को रोकने के लिए भी यह कदम अहम माना गया, पकड़े गए मवेशियों को कांजीहाउस और गोठानों में रखने के आदेश दिए गए है. लेकिन ज्यादातर जगहों पर तस्वीर इसके विपरीत नजर आ रही है।
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