रायपुर@cgpioneer.in
छत्तीसगढ़ में हाथी-मानव द्वन्द की आये दिन खबर हम सब पढ़ते रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए लेमरु हाथी रिजर्व को बनाने की मंजूरी दी गई है। लेकिन अब लेमरु हाथी रिजर्व पर सरकार के मंत्री तथा विधायकों के मतभेद सामने आने लगे हैं। हालाकि 27.08.2019 को मंत्री-परिषद की बैठक में 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व के गठन का निर्णय लिया गया है। इसके अग्रिम कार्यवाही के लिए वन विभाग को अधिकृत किया गया है। लेकिन लेमरु के क्षेत्रफल को कम करने की खबर ने सत्ता पक्ष के विधायकों तथा मंत्रियों को आमने-सामने खड़ा कर दिया है। नाराज सिंहदेव ने सीधा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होनें स्पष्ट लिखा है कि हमने 1995.48 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में सहमति दी थी। न की क्षेत्रफल सीमित करने की, सीमित करने की बात पूर्णत: तथ्यहीन तथा भ्रामक है। जिसके बाद एक बार फिर सियासत गर्म हो गई है।
आखिर क्या है मामला- दरअसल में छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मंत्रालय नवा रायपुर से पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें यह कहा गया है कि दिनांक 27.08.2019 को मंत्री परिषद की बैठक में 1995.48 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व के गठन का निर्णय लिया गया। इसके अग्रिम कार्यवाही हेतु वन विभाग को अधिकृत किया गया था। इसी दौरान यह भी सुझाव आया कि हसदेव नदी का जलग्रहण क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता को संरक्षित करने हेतु लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्र बढ़ाकर 3827.64 वर्ग किलोमीटर किया जाए। साथ ही वन मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में यह भी उल्लेख गया है कि लैलूंगा विधायक चक्रधर सिंह सिदार, भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो, मनेन्द्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल, लुण्ड्रा विधायक प्रीतम राम, कटघोरा विधायक पुरुषोत्तम कंवर, कुनकुरी विधायक यू डी मिंज, मोहित राम के साथ-साथ मंत्री टीएस सिंहदेव ने जनभावनाओं के अनुरुप लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्र 450 वर्ग तक सीमित रखने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही पत्र में यह भी लिखा गया है कि विधायकगण के साथ ही अतिरक्ति प्रस्तावित लेमरु हाथी रिजर्व को अनेक ग्राम पंचायतों द्वारा भी क्षेत्र सीमित रखने का अनुरोध किया है। ग्रामीणों को यह आशंका है कि हाथी रिजर्व क्षेत्र के विस्तार से उनकी आजीविका बाधित होगी, साथ ही उनकी गतिविधयां सीमित हो जाएगी। पत्र में यह भी लिखा गया है कि विभागीय प्रस्ताव के अनुरुप लेमरु हाथी रिजर्व की सीमा 1995.48 वर्ग किलोमीटर से कम करके 450 वर्ग किलोमीटर कर सीमाओं के निर्धारण के विषय पर निर्णय के लिए प्रकरण को मंत्री परिषद के समक्ष रखा जाए। लेकिन इस विषय की जानकारी मीडिया में आने के बाद प्रदेश के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहेदव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर खुला विरोध किया है पत्र में कहा गया है कि 1995.48 वर्ग किलोमीटर पर सहमति दी थी, उन्होंने लिखा कि पत्र में वर्णित लेमरु हाथी रिजर्व का क्षेत्र 450 वर्ग किलोमीटर सीमित रखा जाए यह पूर्णत: तथ्यहीन तथा भ्रामक है। सिंहदेव के पत्र के बाद राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सवाल यह उठ रहा है कि सिंहदेव ने लेमरु हाथी रिजर्व को सीमित करने का कोई पत्र नहीं लिखा तो फिर वन एवं जलवायु परिवर्तन द्वारा जारी पत्र में उनके नाम का उल्लेख क्यों किया गया।
धरमजयगढ़ विधायक राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश से हाथी रिजर्व क्षेत्र में कमी न करने की मांग की
मंत्री टीएस सिंहदेव के बाद अब धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से रिजर्व क्षेत्र में कोई कमी नहीं करने की मांग की है। इसके साथ मांड एवं हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र में कोयला खदान खोलने का विरोध करते हुए इसे वन संरक्षण रिजर्व घोषित करने की मांग की है, धरमजयगढ़ विधायक लालजीत सिंह राठिया ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को लिखे पत्र में बताया कि राज्य में लगभग 58000 मिलियन टन कोयले का भंडार है और उनमें से 20 प्रतिशत ही मांड-हसदेव की जलग्रहण क्षेत्र में है। इन इलाकों में कोयला खनन किये जाने से बड़ी संख्या में आदिवासी बहुल्य गावों का विस्थापन भी होगा। क्षेत्र में पहले से ही मानव-हाथी संघर्ष की गंभीर स्थिति है, ऐसे में अधिक कोयला खदान खोलने से हाथी समूह अधिक उग्र होकर गांवों में नुकसान पहुंचा सकते हैं, उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा से सटे गांव कुदमुरा में राहुल गांधी ने लोगों को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस सरकार ऐसा कोई कार्य नहीं करेगी, जिससे मानव व हाथी संघर्ष बढ़े। उन्होंने आदिवासियों को विस्थापन से बचाने का भी भरोसा दिया था। ऐसे में क्षेत्र में संरक्षण रिजर्व बनाए जाने से आदिवासियों के कोई अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। इससे लघु वनोपज संग्रहण वन अधिकार पट्टों की भी अनुमति रहेगी, साथ ही वन व वन्यजीव संरक्षण भी होगाण्विधायक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वर्ष 2019 में ही कैबिनेट में मंजूर लेमरू रिजर्व के क्षेत्र में कमी न करते हुए मांड और हसदेव नदी के जलग्रहण क्षेत्र को भी संरक्षित करने व विस्थापन से बचाने धारा 36 ए का संरक्षण रिजर्व घोषित किया जाये। इससे केन्द्र सरकार इस पूरे क्षेत्र में कोल ब्लॉक आबंटित नहीं करेगी। वहीं राज्य व देश की कोयला की आवश्यकता पूरी करने के लिए और भी विकल्प है।
अडानी की खदानों को बचाने की कवायद
समाजिक कार्याकर्ता आलोक शुक्ला का कहना है कि वन विभाग द्वारा आडानी की खदानों को बचाने की कवायद की जा रही है। यह पूरा घटनाक्रम इसीलिए तैयार किया गया है। दरअसल केन्द्र ने राजस्थान की विद्युत कम्पनी को कोल ब्लाक खोलने की अनुमति दी है, और इस खदान का संचालन अडानी ग्रुप द्वारा किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि इसी इलाके में लेमरु हाथी रिजर्व भी है। शुक्ला का आरोप है कि यह सारा कदम अडानी ग्रुप के बदाव में उठाया जा रहा है।
क्षेत्र को सीमित करने जिन विधायकों के नाम का जिक्र उनमें से जादातर के एरिया मेे लेमरु हाथी रिजर्व आता ही नहीं
हाथी प्रभावित इलाकों में से धरमजयगढ़ का नाम सबसे पहले आता है। धरमजयगढ़ के विधायक लालजीत सिंह राठिया ने सीएम को पत्र लिखकर क्षेत्र को सीमित नहीं करने का निवेदन किया है। लेकिन सबसे आश्चर्य का विषय यह है कि वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नवा रायपुर द्वारा पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को लिखे गए पत्र में लेमरु हाथी रिजर्व के क्षेत्र को सीमित कर 450 वर्ग किलोमीटर करने जिन विधायकों के नाम का उल्लेख किया गया है उनमें से जादातर के क्षेत्र में लेमरु रिजर्व का एरिया आता ही नहीं। उसके बाद भी विधायकों ने लेमरु हाथी रिजर्व को सीमित करने की सिफारिश की है।
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