July 2, 2025

हिदायत ताक पर : बैठक में आदेश की दूसरी सुबह ही चेकपोस्ट पर दूसरे राज्य से आने वालों की कोविड जांच ठप्प

कोविड की रोकथाम के बीच प्रशासन और स्वास्थ्य अमले के बीच तालमेल का अभाव

राजनांदगांव/छुरिया@pioneer.in

महाराष्ट्र में कोविड के डेल्टा प्लस वैरिएंट के बढ़ते मामलों और तीसरी लहर के खतरे के बीच राजनांदगांव जिले की सरहद पर मौजूद चेकपोस्ट में कोविड की जांच शनिवार को ठप पड़ गई। वैक्सीनेशन में ड्यूटी लगाए जाने के चलते कोविड की जांच करने वाले स्वास्थ्य कर्मी दूसरी जगहों पर सेवाएं देने चले गए। स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के चलते कोविड जांच पूरा दिन बंद रही। यहां मौजूद पुलिस बल और शिक्षकों ने साधारण पूछताछ और नाम-पता दर्ज कर लोगों को चलता किया। इससे पहले ही शुक्रवार को कलेक्टर ने जिले में प्रवेश करने वालों की जांच को लेकर सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे और दूसरे ही दिन सीमा पर जांच ठप्प हो गई।
शुक्रवार को ही पुलिस के 4 प्रशिक्षु जवान कोविड संक्रमित पाए गए थे। इस मामले ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी। दूसरी ओर चेकपोस्ट में कोविड जांच न होना एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। महाराष्ट्र से छत्तीसगढ़ आने-जाने वालों की तादाद काफी ज्यादा है। कोविड जांच बंद होने की स्थिति में सीमा पार से लोगों को जिले में बगैर जांच के प्रवेश देना गंभीर हालात निर्मित कर सकता है।
वहीं महाराष्ट्र प्रशासन बगैर जांच रिपोर्ट के लोगों को प्रवेश नहीं दे रहा है। जबकि राजनांदगांव की सरहद पर यह गंभीरता देखने को नहीं मिल रही है। छुरिया के बीपीएम रोशन नंदेश्वर ने पायनियर को बताया कि आज ज्यादा जगहों पर वैक्सीनेशन किया जाना है। लोगों की भीड़ होने के कारण चेकपोस्ट में तैनात कोरोना जांच कर्मचारियों को वैक्सीनेशन के लिए बुलाया गया था। कल से लगातार चेक पोस्ट पर कोरोना जांच होगी।
कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा ने शुक्रवार को ही कोविड मामलों से संबंधित बैठक में जिले में बाहर से आने वाले सभी नागरिकों पर कड़ी निगरानी और सीमा व रेलवे स्टेशन में कड़ाई बढ़ाते हुए सभी यात्रियों का कोविड-19 सैम्पलिंग लिए जाने के निर्देश दिए थे। इस आदेश के दूसरे ही दिन चेकपोस्ट में कोविड की जांच ठप्प पड़ गई। इससे ही प्रशासनिक अधिकारियों और स्वास्थ्य अमले के बीच तालमेल का अभाव सामने आ जाता है। सरहद पर आवश्यक जांच को परे रखते हुए कर्मियों को वैक्सीनेशन में संलग्न किए जाने को लेकर अधिकारी स्वास्थ्य अमले पर सवाल दाग सकते हैं।
शनिवार को छत्तीसगढ़ के तरफ से मजदूर लेकर महाराष्ट्र जा रही बस को देवरी महाराष्ट्र चेक पोस्ट से लौटा दिया गया। वहां मौजूद कर्मियों ने कोरोना जांच की पर्ची होने पर ही प्रवेश देने की बात कही। बस वापस लौटी और मजदूर पाटेकोहरा कोरोना जांच सेंटर में घंटों जांच कराने रूके रहे पर कोरोना जांच कर्मचारी नहीं होने के कारण चेकपोस्ट पाटेकोहरा में कोरोना जांच नहीं हो सकी।

वैक्सीनेशन और जांच के बीच उलझे

प्रशासनिक और स्वास्थ्य अमले के अधिकारियों के बीच बेहतर तालमेल की जरुरत है। खासकर ऐसे मामलों में जो संक्रमण की एक नई लहर का कारण बन सकता है। जांच से किनारा करते हुए अंदरुनी इलाकों में वैक्सीनेशन के लिए ही सबको झोंक दिया जाना बेहतर रणनीति साबित नहीं हो सकती। कुछ कर्मियों के बगैर भी वैक्सीनेशन किया जा सकता है। हालांकि स्वास्थ्य महकमा पहले से ही मैनपॉवर कम होने और इस परेशानी से जूझने की बात करता रहा है। स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों का कहना है कि एक ओर तो हमें पूरी ताकत के साथ वैक्सीनेशन करने के आदेश हैं तो दूसरी ओर चेकपोस्ट पर जांच भी जरुरी है। ऐसे में हमें जहां भेजा जाता है हम वहां अपना काम करते हैं।

कड़ाई सिर्फ आम लोगों के लिए

कलेक्टर सिन्हा ने शुक्रवार को बैठक में कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए पांच उपाय टेस्टींग, कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट, वैक्सीनेशन और एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन जैसे मुद्दों पर बात की थी। उन्होंने कोविड-19 से बचने के लिए अधिक सतर्क रहने की जरूरत होने की बात कही थी। अपने इन्हें निदेर्शों के विपरित कलेक्टर राजनीतिक आयोजनों, प्रदर्शनों में कोविड प्रोटोकॉल की उड़ रही धज्जियों को लेकर चुप ही रहते हैं। अब तक ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं जिनमें ऐसी स्थिति निर्मित हुई है। एक ओर लोगों पर कार्रवाई का डंडा चल रहा है तो दूसरी ओर प्रशासन ने राजनेताओं को कोविड प्रोटोकॉल तोडऩे की छूट दे रखी है। बैठक में भी उन्होंने नगर निगम व पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि मास्क नहीं लगाने वाले और कोरोना प्रोटोकाल का पालन नहीं करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करें।

वैरिएंट की पुष्टि में लगता है वक्त

डेल्टा प्लस वैरिएंट को लेकर एहतियात बरती जा रही है लेकिन इस वैरिएंट की पुष्टि यहां हो नहीं हो सकती। ऐसे में संदिग्धों के सैंपल भुवनेश्वर स्थित लैब भेजे जा रहे हैं। यहां लिए गए कुल सैंपल के 5 प्रतिशत सैंपल बाहर भेजे जाते हैं। भुवनेश्वर में हुई जांच के नतीजे भी सीधे आईसीएमआर को उपलब्ध कराए जाते हैं। कुल मिलाकर अगर, डेल्टा प्लस वैरिएंट का संदिग्ध यहां मिलता भी है तो उसकी पुष्टि होने में एक लंबा वक्त लग सकता है। वहीं जांच के अभाव में यह वैरिएंट कईयों को अपनी चपेट में ले सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार वैरिएंट की अपेक्षा यह 60 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है।

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