90वां अमासी स्किल कोर्स 2023 में छत्तीसगढ़ समेत देश के कई डॉक्टरों ने जानी मिनिमली इनवेसिव सर्जरी
रायपुर,AMASICON यानी The Association of Minimal Access Surgeons of India (AMASI) ये लेप्रोस्कोपी सर्जनों की वो संस्था है जो डॉक्टरों को मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की नई तकनीक के बारे में बताते है बल्कि इसे लेकर एक फेलोशिप भी प्रदान करते है। छत्तीसगढ़ में पहली बार राजधानी रायपुर के मोवा स्थित श्री बालाजी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस रायपुर में 3 दिवसीय फेलोशिप प्रोग्राम आयोजित किया गया। इसमें न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि कई राज्यों के स्त्री रोग विशेषज्ञ और सर्जन शामिल हुए।
इस दौरान AMASICON के प्रेसिडेंट डॉ. वरघिसे सीजे समेत संस्था के तमाम पदाधिकारी डॉक्टर्स शामिल हुए। इस दौरान विशेष रूप से श्री बालाजी इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस के चेयरमेन डॉ. देवेंद्र नायक और डॉ. पुष्पेंद्र नायक भी मौजूद थे। डॉ. देवेंद्र नायक ने बताया कि नवंबर माह में AMASICON 2023 का इंटरनेश्नल कांफ्रेंस आयोजित होगा। जिसमें देश-विदेश के 3 हजार से ज्यादा डॉक्टर शामिल होंगे।
भोपाल से रायपुर पहुंची डॉ. तेजस्वीनी अरजारिया
भोपाल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ तेजस्वीनी अरजारिया ने कहा कि इस नई तकनीक को सिखने के बाद अब वे भी मरीजों को छोटे चीरे से ऑपरेट कर पाएंगी।
उन्होंने कहा कि इस दौरान क्या-क्या चुनौतियों का सामना डॉक्टरों को करना पड़ सकता है और ये सर्जरी किन मरीजों में करनी चाहिए और किनमें नहीं इसके बारे में विशेष रूप से सीनियर डॉक्टर्स द्वारा बताया गया, जो उनके लिए काफी महत्वपूर्ण था।
अंबिकापुर से डॉ. भावना को भी मिलेगी ये फेलोशिप
इस फेलोशिप को लेने के लिए सीनियर डॉक्टर भावना गार्डिया भी अंबिकापुर के संजीवनी हॉस्पिटल से रायपुर पहुंची। उन्होंने कहा कि ये उनके लिए सौभाग्य की बात है कि एसी फेलोशिप लेने के लिए उन्हें दूसरे मेट्रो सिटी में जाना पड़ता है।
लेकिन यहां रायपुर में ही ये कांफ्रेंस डॉ. देवेंद्र नायक और डॉ. पुष्पेंद्र नायक के सहयोग से सफल हो सका। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें कई अनुभवी की-स्पीकर से इस तकनीक के बारे में विस्तार से जानने और कई नई चीजें सिखने मिली।
क्या कहा डॉ. वरघिसे सीजे ने
इस दौरान मीडिया से बातचीत में संस्था के प्रेसिडेंट डॉ वरघिसे सीजे ने कहा कि मिनिमली इनवेसिव वे हैं, जहां सर्जरी करने के लिए किए गए कट आकार में बहुत छोटे होते हैं, क्योंकि वे आमतौर पर खुली सर्जरी में होती हैं। उन्होंने कहा कि ये संस्था का 90 वां स्किल कोर्स और एफ एमएएस एग्जामिनेशन फेलोशीप कार्यक्रम है। इसकी शुरूआत 2003-04 से हुई थी। जिसका उद्देश्य पूरे देश में मिनिमली इनवेसिव सर्जरी के प्रति डॉक्टरों को ट्रेंड करना और इसकी नई तकनीक के बारे में बताना। जिससे वे अपने क्षेत्रों में मरीजों का ऑपरेशन एक छोटे चीरे से भी कर सके।
क्या कहा डॉ. तामोनस चौधरी ने
AMASICON के सक्रेटरी कॉलेज एफ एमएएस के डॉ. तामोनस चौधरी ने कहा कि उनकी संस्था ने देश के 6 हजार से ज्यादा डॉक्टरों को अब तक ये फेलोशिप प्रदान की है। जिससे देश और विदेश के कई जगहों पर डॉक्टर प्रैक्टिस कर रहे है।
उन्होंने कहा कि सर्जरी की ये तकनीक पूरी तरह सेफ है और इस तकनीक से ऑपरेशन के बाद मरीज की रिकवरी नार्मल सर्जरी से काफ ी फ ास्ट होती है और मरीज का हॉस्पिटल स्टे भी कम होता है और वे अस्पताल से डिस्चार्ज के बाद काम में भी चंद दिनों में ही लौट सकते है।
क्या कहा डॉ. समीर रागे ने
संस्था के जोनल वाइस प्रेसिडेंट (वेस्ट) और मुंबई के मशहूर केएमई हॉस्पिटल के डॉ. समीर रागे ने कहा किया इस तकनीक से डॉक्टर पेट और छाती की सर्जरी आसानी से कर सकते है।
उनकी संस्था डॉक्टरों को फेलोशीप देने से पहले उन्हें नई तकनीक के बारे में बताती है, लेक्चर होते है। इसके बाद वायवा और रिटर्न एग्जाम होते है। तीन अलग-अलग मापदंडो को पूर्ण करने के बाद एफ एमएएस की फेलोशिप प्रदान की जाती है। ट्रेनिंग के दौरान डॉक्टरों को ऑपरेशन के दौरान रखी जाने वाली सावधानी के बारे में भी विस्तार से बताया जाता है।
अब मैं इस तकनीक से अंबिकापुर में मरीजों का कर सकूंगी ऑपरेशन
इस कांफ्रेंस में एफ एमएएस की फेलोशिप लेने रायपुर आई अंबिकापुर की डॉक्टर प्राची जायसवाल ने बताया कि वे स्त्री रोग विशेषज्ञ है।
इस फेलोशिप को लेने के बाद अब वे अंबिकापुर में मरीजों का ऑपरेशन एक छोटे चीरे से कर सकेंगी। जिससे न केवल मरीज जल्दी फिट होगा, बल्कि मरीजों का हॉस्पिटल स्टे भी कम होगा और उनका ऑपरेशन के दौरान ज्यादा खून भी नहीं बहेगा।
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