सक्ती- 1 फरवरी को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट की विशेषताओं विशिष्टताओं पर चर्चा आने वाले समय में होगी। आज केवल यही कहूंगा कि मोदी सरकार के इस बजट में उस भारत की छवि स्पष्ट दिखायी दे रही है, जैसा भारत का हर भारतीय चाहता है
आज बात बजट के थप्पड़ों और उनकी गूंज की जो मेरे कानों में इसलिए गूंज रही है क्योंकि मैं खबर के भीतर छुपी अदृश्य खबर भी बड़े ध्यान से पढ़ने का प्रयास करता हूं,वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 का 39.44 लाख करोड़ रूपये का बजट प्रस्तुत किया गया है। जबकि आज से 9 वर्ष पूर्व अपने 10 वर्षीय शासनकाल के अंतिम वित्तीय वर्ष 2013-14 में कांग्रेसी यूपीए द्वारा 16.65 लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत किया गया था,अर्थात अपने शासनकाल के नौवें वर्ष में मोदी सरकार यूपीए सरकार की तुलना में उससे 22.79 लाख करोड़ रु (137%) अधिक खर्च करने जा रही है।
इस बजट का यह पहला जोरदार थप्पड़ है उन चाटुकारो पर जो इस देश की अर्थव्यवस्था को तबाह, बरबाद, दिवालिया, कंगाल कर दिया है,ऐसा कहते है,अगर यह सच है तो कांग्रेस यूपीए शासनकाल की तुलना में मोदी सरकार को 22.79 लाख करोड़ रुपये अधिक खर्च करने के लिए इतनी बड़ी राशि उसे कौन दे रहा है
जानिए आप भी कौन दे रहा है.? बताएंगे
कृषि मंत्रालय–कांग्रेस यूपीए के अपने अंतिम 5 वर्षीय शासनकाल (2009-14) के दौरान प्रस्तुत 5 बजटों में कुल मिलाकर 1.14 लाख करोड़ रुपए कृषि मंत्रालय को दिए थे। जबकि केवल इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 1.24 लाख करोड़ रुपए कृषि मंत्रालय को दिए हैं।
रक्षा मंत्रालय
कांग्रेस यूपीए के अपने अंतिम 3 वर्षीय शासनकाल (2011-14) के दौरान प्रस्तुत 3 बजटों में कुल मिलाकर 5.61 लाख करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय को दिए थे। जबकि केवल इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 5.25 लाख करोड़ रुपए रक्षा मंत्रालय को दिए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय
अपने शासनकाल के अंतिम वित्तीय वर्ष 2013-14 में कांग्रेस यूपीए की सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय को 37.33 हजार करोड़ रुपये दिए थे। जबकि इस एक वर्ष के बजट में ही मोदी सरकार ने 86.60 हजार करोड़ (133%) अधिक रुपए स्वास्थ्य मंत्रालय को दिए हैं।
रायपुर के समाजसेवी अशोक अग्रवाल कहते हैं कि यह तो कुछ ही उदाहरण मात्र हैं,ऐसे तथ्यों की सूची बहुत लंबी है, जो यह बताती है कि यूपीए शासनकाल की तुलना में मोदी सरकार कितना अधिक धन देश में खर्च कर रही है,इस बजट में इनकम टैक्स की सीमा नहीं बढ़ायी गयी है,इस आलोचना का सच यह है कि, यदि यह सीमा 50,000 और बढ़ाकर 5.5 लाख कर दी जाती तो अधिकतम 10 हजार की और छूट मिल जाती। लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि आम आदमी पर बोझ डालने वाला किसी भी प्रकार का कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है, ना पुराने किसी टैक्स की दर को बढ़ाया गया है,देश नहीं पूरी दुनिया की कमर तोड़ देने वाली भयानक महामारी कोरोना के जानलेवा संकट की 2 साल गहरी अंधेरी खाई से देश को निकाल रही सरकार के साथ इतनी निर्ममता, इतनी स्वार्थपरता उचित नहीं।
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